रतना टाटा (फाइल फोटो)
प्रसून/आकाश/जमशेदपुर. परिवार के साथ अभी दुर्गा पंडाल में प्रवेश कर रहे थे कि रतन टाटा के निधन का समाचार मिला. यह जमशेदपुर वासियों के लिए अपूरणीय क्षति है. यह कहना था विकास अग्रवाल का, जो सिदगोड़ा स्थित मेला घुमने आए थे.
रात के करीब 12 बज रहे थे. दुर्गा पूजा के चलते जमशेदपुर शहर के सिदगोड़ा दुर्गा पंडाल में लोग परिवार-दोस्तों के साथ मेला घूम रहे थे. ऐसे में सभी सन्न रह गए, जब पंडाल में लगी बिग स्क्रीन पर रतन टाटा की तस्वीर लगाई गई और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. लोगों को पहले तो यकीन नहीं हुआ. फिर बाद में सभी ने अपने-अपने फोन पर चेक किए और उन्हें पता चला कि वो अब नहीं रहे. इसके बाद क्या था…लोग आपस में मशहूर उद्योगपति के बारे में चर्चा करने लगे…
भारत रत्न की मांग
सिदगोड़ा स्थित मेला घुमने आए विकास अग्रवाल ने Local18 को बताया कि परिवार के साथ अभी दुर्गा पंडाल में प्रवेश कर रही था कि रतन टाटा के निधन का समाचार मिला. यह जमशेदपुर वासियों के लिए अपूरणीय क्षति है. दो दिन पहले ही ट्विटर पर देखा था कि वे हेल्थ चेकअप के लिए अस्पताल गए थे. रमण कुमार सिंह ने बताया कि रतन टाटा का जाना हमारे लिए बेहद दुख की बात है. वे हमारे लिए रोल मॉडल के समान थे. देश की इकॉनमी को आगे बढ़ाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है.
माता-पिता के साथ मेले में आए 12 वर्षीय आयुष अग्रवाल ने इसे शॉकिंग न्यूज बताया. वहीं, दीपक कुमार ने रतन टाटा को मसीहा बताते हुए कहा कि उनकी बदौलत कई लोगों को रोजगार मिल रहा है. ऐसे शख्स को भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए. वहीं, सुरेश ने रतन टाटा को टाटा समूह का भीष्म पितामह बताते हुए उनके निधन पर दुख जताया.
एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में वापसी
बर्मा माइंस में मेला देखने आई नीतू कुमारी ने बताया कि जमशेदपुर शहर बसने से पहले यह इलाका जंगल हुआ करता था, लेकिन पूरी दुनिया में जमशेदपुर को पहचान मिली है. इसमें रतन टाटा का काफी योगदान है. यह शहर उन्हें कभी भूल नहीं पाएगा. टाटा ग्रुप के कर्मी विनय कुमार ने बताया कि रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह का प्रिय प्रोजेक्ट एयर इंडिया को वापस लाया गया. आज टाटा के कर्मचारियों में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर है.
रतन टाटा कई बार आ चुके थे जमशेदपुर
रतन टाटा ने जुलाई 2020 में इंस्टाग्राम पर जमशेदपुर की अपनी पहली यात्रा की तस्वीर साझा की थी, जो काफी वायरल हुई थी. उन्होंने इस पोस्ट में लिखा था कि वे अपने कॉलेज की छुट्टी के दिनों में पहली बार यहां आए थे. उन्हें टेल्को प्लांट का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया गया था. बता दें कि बाद में रतन टाटा, टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहते हुए कई बार जमशेदपुर आए. 1991 से 2012 तक समुह के चेयरमैन के नाते संस्थापक दिवस पर जमशेदपुर आया करते थे.
शहर का नाम ऐसे पड़ा ‘जमशेदपुर’
जमशेदजी नौसेरवा जी टाटा ने 1907 में टाटानगर की स्थापना की थी. आदिवासी गांव साकची में टाटा कंपनी की नींव रखी गई थी. इसके बाद उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना की थी. 1919 में भारत के गवर्नर जनरल वायरसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने जमशेदजी नौसेरवा जी टाटा के सम्मान में इस जगह का नाम जमशेदपुर रखा था. साकची से करीब 5 किलोमीटर दूरी से गुजरने वाली हावड़ा-मुंबई रेलवे लाइन पर स्थित कालीमाटी स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर स्टेशन कर दिया था. रतन टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पौत्र नवल टाटा के बेटे थे. जब जेआरडी का उत्तराधिकारी चुनने की बारी आयी तो रतन टाटा को सबसे योग्य माना गया था.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 09:42 IST