मौत के मुंह से बच्चों को छीन लाए मां-बाप, उठा दिया ये जोखिम भरा कदम और...

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Last Updated:January 24, 2025, 15:00 IST

Bihar News: जब बच्चों पर विपदा आती हैं, तो मां-बाप उनकी ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं. यह बात एक बार फिर पटना में सच साबित हुई, जहां एक मां ने अपने बेटे और एक पिता ने अपनी बेटी को नई जिंदगी दी. आइए जानते हैं पूरा म...और पढ़ें

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पटना एम्स में दो लोगों को मिला जीवनदान. (संकेतात्मक तस्वीर)

हाइलाइट्स

  • पटना एम्स में पहली बार सफल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ.
  • मां-बाप ने बच्चों को किडनी देकर जीवनदान दिया.
  • 13 डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया.

पटना: जब बच्चों पर विपदा आती हैं, तो मां-बाप उनकी ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं. यहां तक की अपनी जान की परवाह भी नहीं करते हैं. धरती पर मां-बाप भगवान के रूप माने जाते हैं. यह बात एक बार फिर पटना में सच साबित हुई, जहां एक मां ने अपने बेटे और एक पिता ने अपनी बेटी को नई जिंदगी दी. दरअसल, भावुक करने वाला यह मामला पटना एम्स का है, जहां पहली बार दो सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं. इस उपलब्धि ने न केवल मेडिकल जगत में एक नई उम्मीद जगाई है, बल्कि यह साबित कर दिया है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला…

दो दिनों में दो लोगों को मिला जीवनदान
बिहार के पटना एम्स ने पहली बार सफलतापूर्वक दो किडनी ट्रांसप्लांट किए. 20 जनवरी को सीतामढ़ी के एक 34 वर्षीय युवक को उसकी 56 वर्षीय मां ने अपनी किडनी देकर नया जीवन दिया. वहीं, अगले दिन 21 जनवरी को जहानाबाद की एक मेडिकल छात्रा को उसके 53 वर्षीय पिता ने किडनी देकर उसकी जिंदगी बचाई. यह पटना एम्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. एम्स अब हर महीने दो किडनी ट्रांसप्लांट की योजना बना रहा है.

यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि
पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. सौरव वैष्णव ने बताया कि पटना एम्स के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. आने वाले समय में हर महीने दो किडनी ट्रांसप्लांट करने की योजना है. फिलहाल, तीन महीने में 6 और ट्रांसप्लांट करने की तैयारी है. इस ट्रांसप्लांट में चारों मरीज स्वस्थ हैं.  दोनों मरीज और किडनी दान करने वाले माता-पिता पूरी तरह स्वस्थ हैं.

13 डॉक्टरों की टीम ने किया ऑपरेशन
पटना एम्स के इस कदम ने बिहार के लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है. इस सफल ऑपरेशन के बारे में बताते हुए पटना एम्स के अधीक्षक डॉ. अनूप ने कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि को 13 सदस्यीय डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की टीम ने अंजाम दिया. इस टीम का नेतृत्व नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. अमरीश कृष्णा और यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. कमलेश गुंजन ने किया. टीम में नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ. अमरीश कृष्णा, यूरोलॉजी विभाग से प्रोफेसर डॉ. कमलेश गुंजन, डॉ. बिपिन चंद्र, एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. उमेश भदानी, डॉ. अजीत, और डॉ. नीरज समेत नर्सिंग स्टाफ शामिल थे.

चंडीगढ़ में दी गई थी स्पेशल ट्रेनिंग 
डॉक्टर अनूप कुमार के मुताबिक, टीम को पहले पीजीआई चंडीगढ़ में स्पेशल ट्रेनिंग दी गई थी. नेफ्रोलॉजी विभाग के अमरीश कृष्णा  ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है. इसमें मरीज और दाता दोनों का ब्लड ग्रुप और मेडिकल स्थिति की पूरी जांच जरूरी होती है. वही यूरोलॉजी विभाग के डॉ. कमलेश गुंजन ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान दाता और मरीज दोनों के लिए सावधानी जरूरी होती है. पहले दाता का ऑपरेशन होता है और फिर मरीज का.

Location :

Patna,Patna,Bihar

First Published :

January 24, 2025, 14:59 IST

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