आदित्य कृष्ण/ अमेठी: यूपी के अयोध्या में भले ही-भगवान राम का भव्य मंदिर तेजी से आकार ले रहा है रहा है, लेकिन अमेठी की रामलीला पर संकट के बादल छाने लगे हैं. यहां इस बार रामलीला का मंचन न होने से 113 साल पुरानी परंपरा आखिरकार टूट गई है. अवध के अमेठी की हर सुबह राजनीति से शुरू भगवान राम पर खत्म होती है. इसके बाद भी प्रभु राम की लीला के मंचन पर ग्रहण लग गया है. रामलीला के साथ-साथ विजयदशमी पर दशानन पुतला दहन भी इस बार शायद नहीं हो सकेगा. उस पर भी संकट के बादल छा रहे हैं.
1909 से रामलीला का होता है आयोजन
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के गौरीगंज जिला मुख्यालय की सबसे पुरानी इकलौती रामलीला है. जिसका आयोजन 1909 से लगातार रामलीला मंचन समिति के बैनर तले होता आया है, लेकिन इस बार रामलीला का आयोजन नहीं हुआ. इसकी वजह है कि रामलीला मैदान पर अतिक्रमण का कब्जा है और प्रशासन से बार-बार शिकायत के बावजूद भी उस पर कब्जा नहीं हट रहा. इसके साथ ही प्रशासन के लोग भी समिति के लोगों की मदद करने से कतरा रहे हैं. ऐसा समिति के लोगों का कहना है. रामलीला तो दूर इस बार दशानन का पुतला भी शायद दहन नहीं हो सकेगा. क्योंकि लोगों में प्रशासन की अनदेखी से काफी आक्रोश है.
हर बार अनदेखी के कारण इस बार मंचन न करने का लिया गया फैसला
समिति के वरिष्ठ सदस्य और रामलीला मंचन में संरक्षक की भूमिका निभा रहे ओपी सिंह ने कहा कि रामलीला सबसे पुरानी है. भगवान राम हमारे आदर्श हैं, लेकिन यहां पर रामलीला के नाम पर प्रशासन तनिक भी मदद हम सबकी नहीं करता है. ऐसे में हर बार हम सबको आश्वासन दिया जाता था, लेकिन बाद में मदद के नाम पर सिर्फ और सिर्फ गुमराह किया जाता है. किसी भी व्यवस्था को न दिए जाने के साथ अतिक्रमण न हटाए जाने और अव्यवस्थाओं के चलते इस बार रामलीला का आयोजन नहीं किया गया है. और प्रशासन ने अनदेखी की तो हम सब दशानन के पुतले का दहन भी नहीं करेंगे और हमारी वर्षों पुरानी परंपरा टूट जाएगी. जिसका जिम्मेदार प्रशासन होगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 09:51 IST