युद्ध में अपने ही पुत्र बभ्रुवाहन के हाथों मारे गए थे अर्जुन, जानें वजह

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Last Updated:February 02, 2025, 14:05 IST

Mahabharat Katha: पौराणिक कथा में अर्जुन के दो बार मरने का विवरण है. पहली बार उनकी मृत्यु की वजह उनके अपने पुत्र बभ्रुवाहन थे. आखिर क्यों अर्जुन के अपने ही पुत्र ने उन्हें मार डाला था.

युद्ध में अपने ही पुत्र बभ्रुवाहन के हाथों मारे गए थे अर्जुन, जानें वजह

महाभारत कथा

हाइलाइट्स

  • अर्जुन अपने पुत्र बभ्रुवाहन के हाथों मारे गए थे.
  • अश्वमेध यज्ञ के दौरान अर्जुन और बभ्रुवाहन का युद्ध हुआ.
  • श्रीकृष्ण ने बभ्रुवाहन को अर्जुन को पुनर्जीवित करने का उपाय बताया.

Mahabharat Katha: महाभारत की कथा में अर्जुन और उनके पुत्र बभ्रुवाहन के युद्ध का एक विचित्र और दुखद प्रसंग है. अश्वमेध यज्ञ के दौरान बभ्रुवाहन को अपने पिता से लड़ना पड़ा, जिसमें अर्जुन मारे गए. बाद में श्रीकृष्ण की मदद से बभ्रुवाहन ने अर्जुन को फिर से जीवित किया था. यह प्रसंग अर्जुन के जीवन के एक ऐसे पहलू को उजागर करता है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…

महाभारत का युद्ध और अश्वमेध यज्ञ
महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया. इस यज्ञ में घोड़े को स्वतंत्र रूप से घूमने के लिए छोड़ दिया जाता था और जो भी राजा उस घोड़े को पकड़ता था उसे पांडवों की अधीनता स्वीकार करनी होती थी या युद्ध करना होता था.

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मणिपुर में अर्जुन और बभ्रुवाहन का मिलन
जब घोड़ा मणिपुर पहुंचा तो वहां का राजा था बभ्रुवाहन जो अर्जुन और उनकी पत्नी चित्रांगदा का पुत्र था. बभ्रुवाहन ने अपने पिता का स्वागत किया लेकिन जब अर्जुन ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को छोड़ने की बात कही तो बभ्रुवाहन को युद्ध के लिए विवश होना पड़ा.

पिता-पुत्र का युद्ध और अर्जुन की मृत्यु
अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच भीषण युद्ध हुआ. बभ्रुवाहन ने अपने पिता को पराजित कर दिया और उनकी मृत्यु हो गई. इस घटना से बभ्रुवाहन और चित्रांगदा को गहरा शोक हुआ.

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अर्जुन का पुनर्जीवन
जब श्रीकृष्ण को इस घटना का पता चला तो उन्होंने बभ्रुवाहन को अर्जुन को जीवित करने का उपाय बताया. बभ्रुवाहन ने श्रीकृष्ण के कहे अनुसार किया और अर्जुन फिर से जीवित हो गए.

यह कथा हमें यह शिक्षा देती है कि हमें अपने सिद्धांतों और परंपराओं का पालन करना चाहिए लेकिन साथ ही हमें अपने विवेक और भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए. अर्जुन ने अश्वमेध यज्ञ के नियमों का पालन करते हुए अपने पुत्र के साथ युद्ध किया लेकिन उन्हें इस बात का अनुमान नहीं था कि इसका परिणाम इतना दुखद होगा.

First Published :

February 02, 2025, 14:03 IST

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