ये 5 तरीके हैं जैविक खेती का आधार, इनसे किसान हो सकते हैं मालामाल!

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Agency:News18 Uttar Pradesh

Last Updated:January 23, 2025, 09:29 IST

Bahraich: जैविक खेती के फायदे किसी से छिपे नहीं हैं, ये मोटे तौर पर पांच स्तंभों पर काम करती है. ये पांच चीजें क्या हैं, इनका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं और इन्हें बनाने की विधि क्या है, जानें एक्सपर्ट की जबानी.

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जैविक खेती के स्तम्भ!

बहराइच: जैविक खेती 5 स्तंभों पर काम करती है. रासायनिक खेती से पहले के समय में किसान जैविक खेती पर ही निर्भर थे लेकिन अब रासायनिक खेती ने जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी कम कर दी है. हालांकि, अभी भी बहुत सारे किसान ऐसे हैं जो जैविक खेती के माध्यम से ही खेती करते हैं. जैविक खेती को अगर सही ढंग से किया जाए तो कम लागत के साथ-साथ मुनाफा भी अच्छा होता है. जैविक खेती के मुख्य पांच स्तंभ माने गए हैं, जिसमें जीवामृत, घनजीवामृत, आच्छादन, नीमास्त्र और बीजामृत शामिल हैं. बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर नंदन सिंह ने इन पांच स्तंभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

जीवामृत की तैयारी
जीवामृत एक जैविक खाद है. यह गोबर, पानी और दूसरे पदार्थों को मिलाकर बनायी जाती है. इसमें कई तरह के लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं. जीवामृत का इस्तेमाल खेतों में किया जाता है. यह पौधों की वृद्धि और विकास में मदद करती है, साथ ही यह पौधों को रोगों से भी बचाती है.

इसे बनाने के लिए 100 किग्रा देसी गाय के गोबर में 2 किग्रा गुड़, 2 किग्रा दाल का आटा और 1 किग्रा सजीव मिट्टी (बरगद पेड़ के नीचे की मिट्टी या जहां रासायनिक खाद न डाली गई हो) डालकर अच्छी तरह मिश्रण बना लें. इस मिश्रण में थोड़ा-थोड़ा गोमूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लें ताकि घनजीवामृत बन जाए.

घनजीवामृत क्या है
घनजीवामृत गाय के गोबर में कुछ और चीज़ें मिलाकर बनाया जाने वाली एक जैविक खाद है. यह पौधों की वृद्धि और विकास में मदद करता है. घनजीवामृत का इस्तेमाल किसी भी फसल में किया जा सकता है. इसे बनाने के लिए 100 किलो देसी गाय के गोबर को किसी पक्के फर्श या पॉलीथिन पर फैलाएं. अब उस पर 2 किलो देसी गुड़, 2 किलो बेसन और सजीव मिट्टी डालकर मिश्रण बनाएं. थोड़ा-थोड़ा गौमूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लें. इस तरह तैयार मिश्रण को छाया में 48 घंटों के लिए बोरियों से ढक दें. 48 घंटे बाद इस मिश्रण को अच्छी तरह सुखाकर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को बोरियों में भरकर पैक कर लें.

आच्छादन या मल्चिंग पद्धति
खेत में आच्छादन या मल्चिंग पद्धति का मतलब है खेत की ऊपरी सतह को किसी दूसरी फसल या फसलों के अवशेषों से ढकना, इससे कई फायदे होते हैं. इससे खेत में नमी बनी रहती है और सिंचाई के अंतराल को बढ़ाया जा सकता है. घास नहीं उगती और खरपतवार नियंत्रित रहते हैं, जिससे खर्चे कम होते हैं और मुनाफा बढ़ता है.

जैविक खेती में नीमास्त्र
सबसे पहले प्लास्टिक के बर्तन में 5 किलोग्राम नीम के पत्ते और 5 किलोग्राम नीम के फल के टुकड़े डालें. इसमें 5 लीटर गोमूत्र व 1 किलोग्राम गाय का गोबर मिलाएं. इन सभी सामग्रियों को डंडे से चलाकर जालीदार कपड़े से ढक दें. यह 48 घंटे में तैयार होगा. 48 घंटे में चार बार डंडे से चलाएं. अब इस घोल में 100 लीटर पानी मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है.

जैविक खेती में बीजामृत
बीजामृत, देसी गाय के गोबर, गोमूत्र और चूने से तैयार किया जाने वाला एक जैविक खाद है. इसका इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने के लिए किया जाता है. बीजामृत में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु बीजों को रोगमुक्त करते हैं और उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ाते हैं. बीजामृत से उपचारित बीजों में रोग नहीं लगते. इससे उत्पादन बढ़ता है और लागत कम होती है.

बीजामृत तैयार करने की विधि
5 किलो देसी गाय के गोबर को एक कपड़े में बांध लें और इसे 20 लीटर पानी में 12 घंटे के लिए लटका दें. अगली सुबह गोबर को बार-बार निचोड़ें. एक लीटर पानी में 50 ग्राम चूना मिलाकर एक रात के लिए रख दें. अब गोबर के पानी में मुट्ठी भर मिट्टी डालकर अच्छी तरह हिलाएं. इस घोल में 5 लीटर गोमूत्र मिलाएं और चूने का पानी मिलाकर इस्तेमाल करें.

इन पांच स्तंभों को अपनाकर किसान खेती में महारत हासिल कर सकते हैं. इन पांच तरीकों में से सबसे जरूरी किसानों के लिए गाय का गोबर और गोमूत्र है, क्योंकि ज्यादातर जैविक खाद इन्हीं से बनाई जाती है.

Location :

Bahraich,Uttar Pradesh

First Published :

January 23, 2025, 09:28 IST

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