आनंद: सहजन (Drumstick Vegetable) एक ऐसी सब्जी है जिसके खाने पर कई फायदे होते हैं. यह सब्जी ज्यादातर सर्दियों में अधिक मात्रा में खाई जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम “Moringa oleifera” है और इसे न सिर्फ इसके फल, बल्कि इसके पत्ते और अन्य हिस्सों के औषधीय गुणों के कारण पाउडर और अन्य रूपों में भी लिया जाता है, तो चलिए इसके फायदे जानते हैं…
सहजन का आयुर्वेद में महत्व
बता दें कि सहजन का उपयोग कई प्रकार की दवाइयों में किया जाता है. सहजन कैल्शियम से भरपूर होता है, जो इसे बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद बनाता है. सहजन का सेवन हड्डियों को मजबूत करता है और गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह बहुत फायदेमंद साबित होता है.
सहजन के पत्तों के फायदे
आयुर्वेदिक छात्रा दर्शन पटेल ने बताया कि सहजन को आयुर्वेद में ‘शिगरू’ के नाम से जाना जाता है. हम सभी इसके फल के बारे में जानते हैं, और इसका सब्जी के रूप में सेवन भी घरों में किया जाता है. हालांकि, इसके पत्तों को आयुर्वेद में ‘मूल पत्ते’ कहा जाता है, यानी इसके पत्तों में मूली के समान गुण होते हैं. सहजन के बीज और पत्ते विभिन्न विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं. इसमें विटामिन A, विटामिन C, निकोटिनिक एसिड और अमिनो एसिड्स पाए जाते हैं. यह पोषक तत्वों और खनिजों से भरपूर होने के कारण एक खजाना है.
डायबिटीज, खांसी, कोलेस्ट्रॉल और थायरॉयड में फायदेमंद
छात्रा दर्शन पटेल ने आगे यहा भी बताया कि सहजन में कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे तत्व होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं. इसके अलावा, इसमें पाया जाने वाला विटामिन C इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत करता है. सहजन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं, जो डायबिटीज, खांसी, कोलेस्ट्रॉल और थायरॉयड जैसी बीमारियों में उपयोगी होते हैं.
आंखों की बीमारियां, त्वचा रोग और कैंसर में भी लाभकारी
बता दें कि इसके अलावा, सहजन का उपयोग आंखों की बीमारियों, त्वचा रोगों, कीड़ों आदि में भी किया जाता है. इसके पत्तों और जड़ों का उपयोग कैंसर में भी किया जाता है, खासकर ओवेरियन कैंसर में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं. सहजन का सूप वजन घटाने में भी मदद करता है.
सहजन सूप कैसे बनाएं?
बता दें कि सहजन सूप बनाने के लिए इसे उबालकर नींबू और नमक के साथ पीस सकते हैं. इसके अलावा, इसके पत्तों को चटनी या थेपला में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके जूस का भी सेवन किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 17:39 IST
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