प्रतीकात्मक तस्वीर
रोहतास. खेती में सही तकनीक और मिट्टी प्रबंधन को अपनाना किसी भी किसान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. खासकर रबी फसलों की बुवाई के समय यह जानना आवश्यक हो जाता है कि कौन-सी विधि अपनाकर ना केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है.
इस विषय पर मिट्टी प्रबंधन और उन्नत खेती पर लंबे समय से शोध कर रहे विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत सिंह ने लोकल 18 को बताया कि किसानों को फसल चक्र और मिट्टी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए खेती करनी चाहिए. उनके अनुसार, आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का सही संतुलन खेती को टिकाऊ बनाने में मदद करता है.
खेती के लिए उन्नत तकनीक है जीरो टिलेज विधि
डॉ. रमाकांत सिंह ने शून्य जुताई विधि (ज़ीरो टिलेज) पर विशेष जोर दिया, जो खेती में एक क्रांतिकारी तकनीक मानी जाती है. उन्होंने बताया कि इस विधि से किसानों को पानी, श्रम और समय की बचत के साथ उत्पादन में भी वृद्धि होती है. शून्य जुताई विधि में खड़ी फसल काटने के तुरंत बाद ज़ीरो टिलेज मशीन का उपयोग कर खेत की तैयारी के बिना ही सीधी बुआई की जा सकती है. यह विधि लागत को कम करने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी सहायक है. रबी फसल जैसे चना, मसूर और सरसों की बुवाई कम पानी वाली भूमि में करनी चाहिए, जबकि गेहूं की बुआई के लिए मध्यम और निचली भूमि उपयुक्त होती है.
धान के अवशेषों का भी है महत्व
डॉ. रमाकांत सिंह ने बताया कि ज़ीरो टिलेज विधि में पहली हल्की सिंचाई बुआई के 14 दिन बाद करनी चाहिए और दूसरी सिंचाई 21 दिन बाद. उर्वरकों और कीटनाशकों का सीमित उपयोग करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक कीटनाशक मिट्टी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि धान के अवशेषों का भी महत्व बताया. उनके अनुसार, रबी फसल की बुवाई के बाद यदि खेत में धान के अवशेष ढक दिए जाएं तो 80% खरपतवार बिना कीटनाशकों के नष्ट हो जाते हैं. यह तकनीक ना केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों की लागत भी कम करती है. सही मार्गदर्शन रबी फसलों की उन्नत खेती और टिकाऊ कृषि के लिए बेहद लाभकारी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 15:52 IST