मंदिर के पुजारी मनीष कुमार वैष्णव
Balaghat News: रामपायली के इस मंदिर में लगता है भगतों का जमावड़ा, रामपायली का ऐतिहासिक बालाजी राम मंदिर धार्मिक और सांस ...अधिक पढ़ें
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated : November 21, 2024, 11:31 IST
वारासिवनी. वारासिवनी से लगभग 13 किलोमीटर दूर चंदन नदी किनारे यहां एक गांव बसा है. इस गांव का नाम रामपायली है. ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम इसी गांव से होकर महाराष्ट्र के रामटेक गए थे. चंदन नदी किनारे एक पत्थर पर भगवान राम के पदचिन्ह पत्थर पर अंकित थे. ऐसे में इस गांव का नाम रामपायली पड़ा. वहीं इस गांव में लगभग 400 साल पुराना भगवान राम का मंदिर है. लोकल 18 इस गांव में जा पहुंचा. देखें रामपायली के राम मंदिर की खास बातें.
भगवान राम के पदचिन्हों का जिक्र अंग्रेजी गजेटियर
अंग्रेजी शासन के दौरान रामपायली सेंट्रल प्रोविजन का हिस्सा हुआ करता था. तब भंडारा जिले के कलेक्टर आर वी रसेल थे. उन्होंने रामपायली में भगवान राम के पदचिन्हों का जिक्र एक अंग्रेजी गजेटियर में किया था. उन्होंने लिखा था कि पद चिन्ह पत्थर पर अंकित है. ऐसी मान्यता है कि रामपायली के पास स्थित देवगांव में विराध नाम के राक्षस का वध किया था.
चंदन नदी मिली थी भगवान राम की प्रतिमा
रामपायली के राम मंदिर के पुजारी मनीष कुमार वैष्णव बताते है कि वह इस मंदिर में 11वीं पीढ़ी के पुजारी है. इनके पूर्वज सालिकराम वैष्णव को चंदन नदी में भगवान राम की प्रतिमा सन् 1590 में मिली थी. तब उनकी स्थापना नदी किनारे नीम के पेड़ के किनारे की गई थी. वहीं, नागपुर के राजा भोसले ने सन् 1625 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था.
मंदिर में एक बालू से बना शिवलिंग
मंदिर के पुजारी मनीष कुमार वैष्णव बताते है कि इस मंदिर में एक बालू का बना शिवलिंग है. ऐसी मान्यता है कि वह शिवलिंग स्वत: बना है. ऐसे पहले वह स्वत: बनता था और मिट जाता था, लेकिन अब वह शिवलिंग स्थिर हो गया है.
दूर-दूर से रामपायली आते हैं श्रद्धालु
यह राम मंदिर बालाघाट जिले में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी ख्याति प्राप्त है. ऐसे में इस मंदिर में बालाघाट जिले के अलावा दूसरे जिलों से लोग दर्शन के लिए आते हैं. वहीं, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.हर साल कार्तिक पूर्णिमा को लगता है कार्तिक मेलामध्य प्रदेश के प्रमुख मेलों में से एक मेला रामपायली में लगता है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यहां मेला लगता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
Editer- Anuj Singh
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 11:31 IST