लोन लेने वालों को पता होनी चाहिए RBI की ये गाइडलाइन, बैंक वाले कभी नहीं बताते

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Agency:News18Hindi

Last Updated:February 08, 2025, 09:49 IST

पर्सनल लोन लेते समय, फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों के बीच सही का चुनाव करना महत्वपूर्ण है. फिक्स्ड दरें EMI में स्थिरता प्रदान करती हैं, जबकि फ्लोटिंग दरें बाजार के अनुसार बदलती हैं, जिससे संभावित बचत हो सकती ...और पढ़ें

लोन लेने वालों को पता होनी चाहिए RBI की ये गाइडलाइन, बैंक वाले कभी नहीं बताते

फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों के बीच सही का चुनाव करना महत्वपूर्ण है.

हाइलाइट्स

  • फिक्स्ड दरें EMI में स्थिरता प्रदान करती हैं.
  • फ्लोटिंग दरें बाजार के अनुसार बदलती हैं.
  • RBI ने लोन दरों के बीच स्विच का विकल्प दिया.

Fixed vs Floating Interest Rates: पर्सनल लोन लेते समय ब्याज दर का चुनाव एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है, जो आपके फाइनेंशियल्स से जुड़े भविष्य को प्रभावित कर सकता है. ब्याज दरें दो प्रकार की होती हैं: फिक्स्ड (Fixed) और फ्लोटिंग (Floating). इन दोनों के बीच के अंतर, उनके लाभ-हानि, और आपके लिए कौन-सा विकल्प उपयुक्त हो सकता है, इस बारे में लोगों में अक्सर कन्फ्यूजन रहता है. यदि आपको भी ऐसा कोई कन्फ्यूजन है तो उसे दूर कर देते हैं.

फिक्स्ड ब्याज दर वह होती है, जो लोन की पूरी अवधि के दौरान एक-समान रहती है. इसका मतलब है कि आपकी मासिक EMI (समान मासिक किस्त) लोन अवधि के अंत तक नहीं बदलेगी, चाहे बाजार में ब्याज दरें बढ़ें या घटें. यह विकल्प उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो अपने मासिक बजट में स्थिरता चाहते हैं और भविष्य में ब्याज दरों में संभावित वृद्धि से बचना चाहते हैं. हालांकि, फिक्स्ड ब्याज दरें आमतौर पर फ्लोटिंग दरों की तुलना में 1.5 से 2 फीसदी तक अधिक होती हैं. इसके अलावा, यदि बाजार में ब्याज दरें घटती हैं, तो भी आपकी EMI में कोई कमी नहीं होगी.

फ्लोटिंग ब्याज दर?
दूसरी ओर, फ्लोटिंग ब्याज दरें बाजार की स्थितियों के अनुसार समय-समय पर बदलती रहती हैं. ये दरें किसी बेंचमार्क, जैसे कि बैंक के रेपो रेट या RBI की रेपो दर से जुड़ी होती हैं. यदि बेंचमार्क दर बढ़ती है तो आपकी ब्याज दर और EMI भी बढ़ेगी. और यदि घटती है, तो EMI कम हो सकती है. फ्लोटिंग दरों का मुख्य लाभ यह है कि ये फिक्स्ड दरों की तुलना में कम हो सकती हैं, जिससे आपको कुल ब्याज भुगतान में बचत हो सकती है. हालांकि, इनकी अनिश्चितता के कारण मासिक बजट की प्लानिंग करना ज़रा चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

आरबीआई ने कहा- स्विच कर पाएंगे लोन लेने वाले
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि लोन लेने वालों को ब्याज दर के प्रकार को बदलने का विकल्प मिलेगा. नए दिशानिर्देशों के तहत, बैंक और वित्तीय संस्थान लोन की शर्तों को रीसेट करते समय उधारकर्ताओं को फिक्स्ड और फ्लोटिंग दरों के बीच स्विच करने का विकल्प प्रदान करने के लिए बाध्य हैं. इस परिवर्तन से उपभोक्ताओँ को अपने लोन की शर्तों पर अधिक नियंत्रण मिलेगा और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी.

आपके लिए कौन-सी सही?
फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों के बीच चयन करना आपके वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम सहनशीलता और बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है. यदि आप स्थिरता और पूर्वानुमानित EMI चाहते हैं, तो फिक्स्ड ब्याज दर उपयुक्त हो सकती है. वहीं, यदि आप बाजार की स्थितियों के अनुसार ब्याज दरों में संभावित कमी का लाभ उठाना चाहते हैं और जोखिम लेने के लिए तैयार हैं, तो फ्लोटिंग ब्याज दर एक बेहतर विकल्प हो सकता है. निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय स्थिति, जोखिम सहनशीलता और भविष्य की योजनाओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

February 08, 2025, 09:49 IST

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