Last Updated:February 12, 2025, 12:20 IST
Indian Air Force: भारतीय वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने एयरो इंडिया 2025 में लड़ाकू विमानों की कमी पर चिंता जताई. वर्तमान में वायुसेना के पास 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए. वायु सेना के घट...और पढ़ें
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भारतीय वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन होनी चाहिए.
हाइलाइट्स
- भारतीय वायुसेना के पास 31 स्क्वाड्रन हैं
- वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है
- तेजस की डिलीवरी जल्द शुरू करेगा एचएएल
Indian Air Force: भारतीय वायु सेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने सोमवार को बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 के दौरान हल्के लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में देरी को लेकर नाराजगी जताई थी. एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह का जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें वह कहते सुनाई दे रहे हैं, “मैं आपको केवल यह बता सकता हूं कि हमारी जरूरतें और चिंताएं क्या हैं. आपको उन चिंताओं को दूर करना होगा और हमें ज्यादा आत्मविश्वास देना होगा.” अमर प्रीत सिंह की चिंता एयरफोर्स की घटती ताकत को लेकर है. वर्तमान में भारतीय वायु सेना की लड़ाकू ताकत घटकर सिर्फ 31 स्क्वाड्रन (प्रत्येक में 18 विमान) रह गई है. जबकि एक स्क्वाड्रन में अधिकतम 24 विमान होने चाहिए. यह आंकड़ा साल 1965 के बाद से सबसे कम है.
स्वीकृति की बात की जाए तो भारतीय वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन होनी चाहिए. वायु सेना के लिए यह संख्या पाकिस्तान और चीन के साथ संभावित दो-मोर्चों के संघर्ष से उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए निर्धारित की गई है. लेकिन फिलहाल उसके पास 31 स्क्वाड्रन मौजूद हैं. अगर ऐसे में दोनों सीमाओं पर कोई आपात स्थिति पैदा होती है तो वायु सेना के हाथ पांव फूल जाएंगे. वायु सेना के घटते लड़ाकू विमानों की वजह सुस्त खरीद प्रक्रिया रही है. इसमें देरी पिछले कुछ सालों में नहीं हुई है, बल्कि ये सिलसिला दशकों से चला आ रहा है.
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वर्तमान में सबसे कम ताकत
साल 1965 के युद्ध के बाद वायु सेना में स्क्वाड्रन की संख्या लगातार बढ़ती गई. साल 1996 में यह बढ़कर 41 स्क्वाड्रन तक पहुंच गई थी. धीरे-धीरे लड़ाकू विमान पुराने पड़ने लगे और उन्हें चरणबद्ध तरीके से रिटायर किया जाने लगा. साल 2013 में स्क्वाड्रनों की संख्या घटकर 35 रह गई और तब से लगातार कम होती चली गई. मौजूदा स्थिति में 31 स्क्वाड्रन में से दो स्क्वाड्रन कम उड़ान भर रहे हैं. ये स्क्वाड्रन अपने मिग 21 लड़ाकू विमानों को बचा रहे हैं. ये वही विमान हैं जिन्होंने पहली बार 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया था. ये विमान अपनी जिंदगी पूरी कर चुके हैं, लेकिन कमी की वजह से उनके रिटायर करने की योजना लंबे समय से टाला जा रहा है. साल 2027 में जगुआर के चार स्क्वाड्रन भी रिटायर होने लगेंगे.
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वायु सेना के पास अभी कितने विमान
भारतीय वायु सेना के पास फिलहाल 600 के करीब लड़ाकू विमान हैं. उसके पास 248 सुखोई 30 एमकेआई, 45 मिराज 2000, 130 सेपेकैट जगुआर, 40 मिग 21 बाइसन, 32 तेजस एलसीए एमके 1, 65 मिग 29 और 36 राफेल हैं. लेकिन अगर चीन की बात की जाए तो हमारे पास उसके विमानों की करीब आधी संख्या है. चीनी वायुसेना में 1200 से 1300 लड़ाकू विमान हैं. वहीं, अगर पाकिस्तान की बात की जाए तो उसके पास 445 लड़ाकू विमानों का बेड़ा है. अगर भारत को इन दोनों पड़ोसी देशों के मुकाबले में बने रहना है तो उसे तेजी से अपनी वायु सेना में विमानों को शामिल करना होगा. लेकिन यह सब रातोंरात संभव नहीं है. इस काम में समय लगता है. अगर वायु सेना को दो-तीन स्क्वाड्रन भी जोड़नी हों तो उनका इस्तेमाल करने में सक्षम होने के लिए प्रशिक्षण में समय लगता है.
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जल्द शुरू हो जाएगी तेजस की डिलीवरी
हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने कहा है कि जल्द ही हल्के लड़ाकू विमान तेजस की वायु सेना को डिलीवरी की जाएगी. एचएएल ने कहा कि उसके अपग्रेड में होने वाली दिक्कतों को दूर कर लिया गया है. एचएएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डी. के. सुनील ने कहा, “विमानों की डिलीवरी में यह देरी हमारी सुस्ती की वजह से नहीं है. कुछ तकनीकी मुद्दे थे जिन्हें सुलझा लिया गया है. वायुसेना प्रमुख एपी सिंह की चिंता एकदम जायज है.” उन्होंने दावा किया है कि साल 2031 तक 83 तेजस मार्क 1 ए वायु सेना को मुहैया करा दिए जाएंगे.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 12, 2025, 12:20 IST