दरभंगा : लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा लीची शहद बनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य स्वादिष्ट के साथ पौष्टिक आहार के रूप में लोगों तक इसे पहुंचाना है. अन्य शहद की तुलना में इस शहद में आपको लीची के थोड़े स्वाद मिल जाएंगे, जब कि यह भी मधुमक्खियां के द्वारा ही तैयार किया जाता है. इसके लिए यदि आप खुद का कंपनी खोलकर लीची शहद का निर्माण और व्यापार करना चाहते हैं तो लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा आपको पूरा सहयोग किया जाएगा, जिसको लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में तीन दिवसीय आपको प्रशिक्षण भी दिया जाएगा उसके उपरांत लाइसेंस भी आपको निर्गत किया जाएगा.
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ तकनीकी सहायक प्रज्ञा शाह बताती हैं कि जैसा आप सभी जानते हैं कि लीची साल में एक बार होता है ऐसे में किसान हताश होते हैं कि यह लीची का वृहद क्षेत्र माना जाता है और यह साल में एक ही बार होता है यदि मौसम अनुकूल नहीं रहा तो नुकसान हो सकता है. बहुत सारी समस्याएं होती है.
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किसानों को विभाग द्वारा समय समय पर सुझाव दिया जाता रहता है. बागों में जब लीची में फूल आता है उस समय विभाग के द्वारा मधुमक्खी के बक्से रख दिए जाते हैं. किसान इस तरह से शहद का उत्पादन कर सकते हैं. उसमें मधुमक्खियां आती है और लीची के फूलों से शहद लेकर उसमें शहद लगाती हैं. उस शहद को हम लोग निकाल कर प्रसंस्करण कर पैकिंग कर बेचते हैं. यह बिल्कुल ऑर्गेनिक है इसमें ना तो कोई केमिकल है और ना ही शक्कर है यह लोगों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 20:01 IST