वोडाफोन-आइडिया ने टेके बुजुर्ग के आगे घुटने, देगी 60,000 रुपये, क्या है वजह?

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यह मामला 2019 का है. (प्रतीकात्मक तस्वीर.)यह मामला 2019 का है. (प्रतीकात्मक तस्वीर.)

एक उपभोक्ता अदालत ने वोडाफोन आइडिया को आदेश दिया है कि वह एक बुजुर्ग को 60 हजार रुपये का भुगतान करे. यह रकम मुआवजे के र ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. मुंबई के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (सेंट्रल मुंबई) ने वोडाफोन आइडिया को मानसिक उत्पीड़न के लिए एक वरिष्ठ नागरिक को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह आदेश सोमवार को पारित किया गया, जिसमें आयोग ने मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को सेवा में कमी के लिए दोषी ठहराया, जिससे उपभोक्ता को असुविधा, मानसिक और आर्थिक नुकसान हुआ.

    मुंबई निवासी शिकायतकर्ता ने 2 मई 2019 से 28 दिनों के लिए वोडाफोन आइडिया का अंतरराष्ट्रीय रोमिंग पैक (I-RoamFree) लिया था. इस प्लान में असीमित कॉल और 5.2 GB डेटा की सुविधा थी. शिकायतकर्ता ने केन्या की यात्रा के दौरान इस प्लान का इस्तेमाल शुरू किया और 75% डेटा का उपयोग किया. इसके बाद वह जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल्स गए, जहां उन्होंने यह मानते हुए डेटा का इस्तेमाल किया कि यह क्षेत्र पैक में शामिल है. हालांकि, उन्हें वोडाफोन आइडिया की ओर से कोई सूचना या चेतावनी संदेश नहीं मिला कि यह क्षेत्र पैक के अंतर्गत नहीं आता है. 124 MB डेटा उपयोग करने के बाद, बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी मोबाइल सेवा को अचानक रोक दिया गया. कंपनी ने फिर उन पर 72,419 रुपये का भारी शुल्क लगाया.

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    सेवा बहाल नहीं करने पर कंपनी दोषी
    शिकायतकर्ता ने केन्या लौटकर कंपनी से अपनी सेवाएं बहाल करने और बचा हुआ डेटा उपयोग करने की अपील की, लेकिन कंपनी ने सेवा बहाल करने के लिए लगभग 60,000 रुपये का भुगतान करने को कहा. शिकायतकर्ता ने ट्राई (TRAI) और अन्य अधिकारियों से मदद की मांग की, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. लगभग 40 दिनों तक सेवा बंद रहने के बाद, शिकायतकर्ता को मजबूरी में 86,290 रुपये का बिल भरना पड़ा.

    वोडाफोन आइडिया की दलील
    वोडाफोन आइडिया का तर्क था कि शिकायतकर्ता को यह जानकारी थी कि I-RoamFree पैक केवल 77 देशों में ही लागू है और जिम्बाब्वे इसमें शामिल नहीं था. इसलिए उन्हें मानक दर पर शुल्क लगाया गया.

    आयोग का फैसला
    आयोग ने माना कि शिकायतकर्ता को केन्या लौटने पर I-RoamFree पैक का लाभ लेने का अधिकार था, क्योंकि उन्होंने 28 दिनों के लिए 5,999 रुपये का पैक खरीदा था और पूरी डेटा सीमा का उपयोग नहीं किया था. आयोग ने कंपनी को शिकायतकर्ता को सेवा बहाल करने में विफल रहने और गलत तरीके से सेवा बंद करने के लिए दोषी ठहराया. आयोग ने सेवा प्रदाता को 50,000 रुपये मानसिक उत्पीड़न और 10,000 रुपये शिकायत दर्ज करने की लागत के रूप में देने का आदेश दिया.

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    FIRST PUBLISHED :

    September 24, 2024, 21:29 IST

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