Last Updated:January 22, 2025, 19:46 IST
RG Kar Doctor Case: लेडी ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर केस में दोषी संजय रॉय को उसके जुर्म के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. हालांकि सीबीआई ने उसे फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरव...और पढ़ें
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 साल की लेडी ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर केस में दोषी संजय रॉय को आखिरकार उसके जुर्म की सजा सुना दी गई. पिछले साल 9 अगस्त को हुई इस वारदात को लेकर पश्चिम बंगाल के साथ-साथ पूरे देश में ही खूब गुस्सा देखा जा रहा था. पीड़िता के मां-बाप सहित तमाम लोग दोषी के लिए शुरुआत से ही फांसी की सजा मांग रहे थे. हालांकि सियालदह सेशन कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई. हालांकि सीबीआई ने अब उसके उम्र कैद की सजा को फांसी में बदले की मांग लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
इस मामले के सामने के बाद से लोग इसके पीछे किसी बड़ी साजिश की आशंका जता रहे थे. उनका शक था कि संजय रॉय तो बस एक मोहरा है, जिसे बड़ी मछलियों को बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इन दौरान कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी भी तैर रही थी. हालांकि जज ने अपने फैसले में इन तमाम सिद्धांतों को एक-एक कर खारिज कर दिया.
तो चलिये जानते हैं कि इस मामले में किस-किस साजिश की बात कही जा रही थी और जांच में उसका क्या हुआ?
लेडी डॉक्टर के साथ हुआ गैंगरेप?
ऐसा कहा जा रहा था लेडी डॉक्टर के साथ अकेले संजय रॉय ने नहीं, बल्कि कई लोगों ने मिलकर गैंगरेप किया. लोग यह दलील दे रहे थे कि एक अकेला संजय इतनी बेहरमी से इस वारदात को अंजाम नहीं दे सकता. उसके साथ कई और लोग भी शामिल थे, जिन्हें बचाया जा रहा है.
हालांकि कोर्ट ने माना कि दुष्कर्म केवल एक व्यक्ति ने किया था और गैंगरेप के कोई सबूत नहीं मिले. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और गवाही के दौरान यह साफ हुआ कि पीड़िता के शरीर पर किसी प्रकार की हड्डी टूटने या गंभीर चोट के निशान नहीं थे. यह साबित करता है कि हमला एक ही व्यक्ति ने किया था.
हालांकि, पीड़िता के परिवार और बचाव पक्ष ने सवाल उठाया कि पीड़िता के जननांगों में पाए गए सफेद गाढ़े पदार्थ की प्रकृति स्पष्ट नहीं की गई. विशेषज्ञों ने इसे वीर्य नहीं माना और इसे गैंगरेप का सबूत भी नहीं माना गया.
कोई दूसरी महिला भी थी शामिल
पीड़िता के परिवार ने तर्क दिया कि पोस्टमॉर्टम के दौरान दूसरी महिला के क्रोमोजोम्स पाए गए, जो यह इशारा करते हैं कि कोई दूसरी महिला भी इसमें शामिल हो सकती है. लेकिन कोर्ट ने पाया कि पोस्टमॉर्टम के समय इस्तेमाल किए गए उपकरण और ट्रे ठीक से स्टेरलाइज नहीं थे. यह भी पाया गया कि सहायक ने दस्ताने या एप्रन नहीं बदले थे. इसी वजह से यह गड़बड़ी हुई.
वहीं डीएनए रिपोर्ट में आरोपी संजय रॉय का पूरा प्रोफाइल मिला, जिससे यह साफ हो गया कि लेडी डॉक्टर के शरीर के संपर्क में केवल वही था. दूसरी किसी महिला की संलिप्तता को कोर्ट ने खारिज कर दिया.
अकेले संजय रॉय नहीं अंजाम दे सकता पूरी वारदात
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़िता की मौत गला घोंटने और मुंह दबाने से हुई. अदालत ने यह माना कि हत्या पूरी तरह से जानबूझकर की गई थी और आरोपी अकेले इस घटना को अंजाम देने में सक्षम था.
सेमिनार रूम में नहीं मिला संघर्ष के कोई निशान
मौके पर मिले सबूतों के अनुसार, पीड़िता के मोबाइल, लैपटॉप और किताबें उसके सिर के पास सही स्थिति में पाई गईं. हालांकि, पानी की बोतल और दूसरे सामान इधर-उधर थे. कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि सेमिनार रूम, खास तौर से मंच और वहां मौजूद गद्दा ही अपराध स्थल था.
संजय रॉय पर क्यों नहीं पड़ी किसी की नजर
कोर्ट ने इस तर्क को भी खारिज किया कि नर्सिंग स्टेशन पर मौजूद लोगों ने कुछ भी संदिग्ध क्यों नहीं देखा. जज ने कहा कि आरोपी संजय रॉय तड़के उस समय चेस्ट डिपार्टमेंट में गया, जब कोई ड्यूटी पर नहीं था.
संजय रॉय ने पुलिस की पिटाई के डर से कबूल किया जुर्म
अदालत ने माना कि यह दावा कि आरोपी ने पुलिस प्रताड़ना के कारण अपना अपराध कबूल किया, पूरी तरह से बेबुनियाद है. गवाहों की गवाही और जांच प्रक्रिया में ऐसी किसी प्रताड़ना का कोई सबूत नहीं मिला.
सियालदह कोर्ट ने संजय रॉय को इस जघन्य अपराध का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. अदालत ने इन सभी थ्योरी और दावों का गहन अध्ययन करने के बाद यह फैसला सुनाया. मामले की आगे की जांच और पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए भी सिफारिशें की गईं.
Location :
Kolkata,West Bengal
First Published :
January 22, 2025, 19:46 IST