नई दिल्ली. विप्रो के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंस ‘बेहद महत्वपूर्ण’ है और उनका मानना है कि हाइब्रिड वर्क मॉडल कर्मचारियों के लिए काफी मददगार है. राशिद की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब इंफोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति के वर्क लाइफ बैलेंस पर दिए गए बयान के बाद यह मुद्दा भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है. पिछले दिनों नारायण मूर्ति ने एक बार फिर से अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा था कि भारतीयों को वर्क लाइफ बैलेंस (Work Life Balance) के बजाय काम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सप्ताह में छह दिन के बदले पांच दिन ही काम करने की परंपरा पर भी सवाल उठाया था.
विप्रो के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी वर्क-लाइफ बैलेंस पर नारायण मूर्ति के विचारों इत्तेफाक नहीं रखते और इसे बहुत जरूरी मानते हैं. रिशद प्रेमजी ने कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंस की अवधारणा अब पूरी तरह से बदल चुकी है. पहले इसका मतलब केवल ऑफिस आने और जाने के समय से था, लेकिन आज, इसका मतलब “इंस्टाग्राम एक्सेस” को सीमित न करने से भी हो सकता है.
कर्मचारी को तय करनी होगी सीमा
बेंगलुरु टेक समिट 2024 के पहले दिन फायरसाइड चैट में रिशद प्रेमजी ने कहा, “मैंने यह बहुत जल्दी अपने शुरुआती दिनों में कोविड से पहले ही इसे सीखा. वर्क-लाइफ बैलेंस को आपको खुद परिभाषित करना होगा, संगठन कभी भी आपके लिए इसे सुनिश्चित नहीं करेंगे. उन्होने कहा कि इसलिए, आपको यह तय करना होगा कि इसका क्या मतलब है और अपनी सीमाएं आपको खुद ही खींचनी होंगी.
इसलिए मचा है बवाल
दरअसल, इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के 70 घंटे के वर्क वीक में अपनी आस्था दोहराने और यह कहने कि वे ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ के विचार में विश्वास नहीं करते हैं, के बाद से ही इस विषय पर चर्चा जोरों पर हैनारायण मूर्ति ने यहां तक कहा कि वह 1986 में भारत के छह-दिन के कार्य सप्ताह से पांच-दिन के कार्य सप्ताह में बदलाव से निराश थे. बहुत से लोग नारायण मूर्ति के विचारों की आलोचना कर रहे हैं. बहुत से लोगों का कहना है कि काम के साथ परिवार और अपने लिए समय निकालना भी बहुत जरूरी है. कंपनियों का प्रबंधन और मालिक तो चाहते हैं कि कर्मचारी दिन-रात काम करें, ताकि उनका प्रॉफिट बढ़े.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 14:50 IST