सर्दियों में आंवला में पड़ने लगे भूरे धब्बे, तो समझिए लग गई है यह गंभीर बीमारी

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:January 24, 2025, 09:12 IST

Amla ki Kheti : कृषि विज्ञान केंद्र के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि सर्दियों में आंवला के बागानों को सुरक्षित रखने के लिए समय पर देखभाल और सही उपाय करना बेहद जरूरी है. डॉ. मुकुल कुमार ने बत...और पढ़ें

सर्दियों में आंवला में पड़ने लगे भूरे धब्बे, तो समझिए लग गई है यह गंभीर बीमारी

सर्दियों में आंवले के पौधों का रखें ध्यान

जमुई. सर्दियों का मौसम चल रहा है और उत्तर बिहार सहित पूरे बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. ठंड के मौसम में आंवला के पेड़-पौधों को खास देखभाल की जरूरत होती है. ठंड के मौसम में आंवले में रोग और कीट का खतरा बढ़ जाता है, जिससे फलों की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ता है. कृषि विज्ञान केंद्र के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि सर्दियों में आंवला के बागानों को सुरक्षित रखने के लिए समय पर देखभाल और सही उपाय करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा को सर्दियों में मौसम में आंवला के पेड़ों में होने वाले प्रमुख रोग की पहचान कर उनसे बचाव के उपाय अवश्य करने चाहिए.

आंवला में इन बीमारियों का होता है खतरा
डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि सर्दियों में आंवला के पेड़ों में मृदु सड़न रोग (फोमोप्सिस फाइलेन्थाई) लगने का खतरा रहता है. यह रोग फलों पर भूरे धब्बे बनाता है, जो कुछ ही दिनों में पूरे फल को खराब कर देते हैं. यह रोग पके और अधपके दोनों प्रकार के फलों पर तेजी से फैलता है. इसके अलावा, जून से जनवरी तक सक्रिय रहने वाला गुठलीभेदक कीट भी आंवला के फलों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. यह कीट फलों के अंदर घुसकर उन्हें खराब कर देता है, जिससे फलों की गुणवत्ता घट जाती है और बाजार में उनकी मांग कम हो जाती है.

ऐसे करें अपने आंवला की फसल का उपचार
रोग और कीट से बचाव के लिए किसान कुछ उपाय अपना सकते हैं. डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि मृदु सड़न से बचाने के लिए बगीचे में नियमित गुड़ाई और जड़ों के पास पानी न रुकने देने का विशेष ध्यान रखें. पौधों में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए एक वर्ष पुराने पौधों में 10 किलोग्राम गोबर खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस और 75 ग्राम पोटाश डालें.

वहीं, 10 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों में 100 किलोग्राम गोबर खाद, 1 किलोग्राम नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फोरस और 750 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें. गुठलीभेदक कीट के लिए 0.2% कार्बेरिल, 0.04% मोनोक्रोटोफॉस या 0.05% क्विनालफॉस कीटनाशक का छिड़काव करें. उन्होंने कहा कि भंडारण के लिए फलों को डाइथेन एम-45 या बाविस्टीन से उपचारित करें ताकि रोग और कीट से बचाव हो सके.

First Published :

January 24, 2025, 09:12 IST

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