महेसाणा: गुजरात के महेसाणा जिले के देवड़ा गांव में अब बढ़ रही है मधुकामिनी की खेती. वर्तमान में, इस गांव में 15 से 20 बीघे में मधुकामिनी की खेती की जा रही है. किसान इस पौधे की खेती को इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसे बिना ज्यादा देखरेख के आसानी से उगाया जा सकता है. देवड़ा गांव, जो महेसाणा जिले के विजयपुर तालुका में स्थित है, यहां मुख्य रूप से गुलाब की खेती होती है और गुलाब के बाद अब किसान मधुकामिनी के पौधे की खेती कर रहे हैं. इस पौधे की खेती में दो साल बाद उत्पादन शुरू हो जाता है और ये सालों तक उत्पादन दे सकता है.
किसान सतिशभाई अंबलालभाई पटेल का अनुभव
देवड़ा गांव के सतिशभाई अंबलालभाई पटेल, जो पिछले 25 सालों से कृषि से जुड़े हुए हैं, फिलहाल 1.5 बीघे में मधुकामिनी की खेती कर रहे हैं. वे बताते हैं, “शुरुआत में, सामान्य फसल की तरह खेत की तैयारी करनी होती है. फिर, मधुकामिनी के पौधों को नर्सरी से लाकर लगाया जाता है. एक बीघे में लगभग 1400 से 1500 पौधे लगाए जाते हैं, और एक पौधे की कीमत लगभग 25 से 30 रुपये होती है.”
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मधुकामिनी की विशेषताएं
बता दें कि मधुकामिनी एक खुशबूदार फूल वाला पौधा है, लेकिन इसके फूल के बजाय इसके डंठल को सजावट में उपयोग किया जाता है. इस पौधे की विशेषता यह है कि इसके डंठल तेजी से नहीं बढ़ते और यह सजे हुए गुलदस्ते में तीन दिनों तक ताजे रहते हैं. किसान का कहना है कि इस पौधे की खेती सस्ती है और इसे कोई खास देखभाल की जरूरत नहीं होती. एक बार बोने के बाद, यह उत्पादन में 6 से 7 गुना लाभ दे सकता है. सालाना लगभग 70,000 रुपये तक की आय होती है, और इसमें विशेष खर्च नहीं होता. मधुकामिनी की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है क्योंकि इस खास बात ये है कि इसमें कम लागत में ज्यादा मुनाफा है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 10:40 IST