खेत में लगी परवल
सीतामढ़ी: जिले के भासर गांव के किसान जय किशोर महतो ने अपनी मेहनत और आधुनिक कृषि तकनीकों के जरिए पारंपरिक खेती को छोड़कर हरी सब्जियों की खेती अपनाई और सफलता की नई इबारत लिखी. सीमित संसाधनों के बावजूद, महतो हर महीने 10 हजार से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं और साथ ही स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी दे रहे हैं.
धान-गेहूं छोड़कर अपनाई सब्जी की खेती
जय किशोर महतो पहले धान और गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे. लेकिन इससे कम मुनाफे के कारण उन्होंने आधुनिक सब्जी खेती की ओर रुख किया. मात्र 1.5 एकड़ जमीन में वे अब करेला, कद्दू, खीरा, बैगन, टमाटर, भिंडी, गोभी और ककड़ी जैसी सब्जियां उगाते हैं.
– हर दूसरे दिन तुड़ाई: वे हर दूसरे दिन तुड़ाई करते हैं, जिससे उन्हें 10 से 15 हजार रुपए की आय होती है.
– मौसमी कमाई: मौजूदा मौसम और बाजार की मांग के अनुसार, उनकी प्रति तुड़ाई 5 से 7 हजार रुपए तक की कमाई होती है.
जैविक खेती से बढ़ाई सब्जियों की गुणवत्ता
जय किशोर महतो ने बताया कि वे अपनी खेती में जैविक खाद का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे उनकी सब्जियों की गुणवत्ता बेहतर रहती है. उन्होंने मल्चिंग पेपर का उपयोग कर बरसात के मौसम में भी खेती को सफल बनाया.
मजदूरों को रोजगार, परिवार की तरक्की
किसान महतो ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि उन्होंने चार से पांच मजदूरों को भी नियमित रोजगार देकर उनके जीवन में सुधार लाया है.
– परिवार का भरण-पोषण: वे अपनी कमाई से अपने तीन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.
– सभी सीजन में खेती: उनकी खेती पूरे साल चलती है, जिससे उनकी आय स्थिर बनी रहती है.
तकनीक और मेहनत से मिला 4 गुना मुनाफा
महतो ने अपनी सब्जी की खेती को आधुनिक तकनीकों से प्रबंधित किया है, जिससे उनकी आय पारंपरिक खेती की तुलना में चार गुना बढ़ गई है. पिछले साल उन्होंने शिमला मिर्च की भी सफलतापूर्वक खेती की, जो बाजार में काफी लोकप्रिय रही.
प्रेरणा स्रोत बने जय किशोर महतो
जय किशोर महतो का यह प्रयास साबित करता है कि मेहनत और सही तकनीक का उपयोग करके सीमित संसाधनों वाले किसान भी अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं. उनकी कहानी न केवल सीतामढ़ी बल्कि पूरे बिहार के किसानों के लिए एक प्रेरणा है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 14:32 IST