रावण दहन को लेकर जाने दिल्ली वालो ने क्या कहा
दिल्ली: भारत के सभी लोग नवरात्रि का त्योहार मना रहे हैं, वहीं 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है. इस दिन को कई वर्षों से रावण दहन, यानी रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को जलाने की परंपरा के रूप में मनाया जाता है, जिसे आज भी लोग मना रहे हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण को अब भी इस तरह जलाना सही है या गलत? तो चलिए, आज इस मुद्दे पर दिल्ली के लोगों की राय जानते हैं.
नेहरू नगर के ग्राउंड में रावण दहन की परंपरा
दरअसल, लोकल 18 की टीम नेहरू नगर के ग्राउंड पर पहुंची, जहां 44 सालों से रामलीला और दशहरे पर रावण दहन मनाया जाता है. वहीं, वहां के लोगों से पूछा गया कि दशहरा क्यों मनाया जाता है और रावण को जलाना सही है या गलत. इस पर मौजूद मानव ने बताया कि आज की जनरेशन को यह बताने के लिए कि हमारी रामलीला कहां से शुरू हुई थी, और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए रावण जलाया जाता है. उनके पास खड़े प्रधान रवि ने कहा कि हर साल रावण दहन मनाया जाता है, और तभी जाकर हम राम जी के आगमन की खुशी में दिवाली मनाते हैं.
दशहरे के प्रतीक और संदेश
वहीं, वहां मौजूद दूसरे युवक ध्रुव ने कहा कि 10 सिर वाला रावण हर साल फिर से जीवित हो जाता है, इसलिए दशहरा के दिन रावण दहन करके उसे वापस मारा जाता है, जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश लोगों तक पहुंचता है. इसीलिए हमें, सभी सनातनी लोगों को, रावण दहन अवश्य करना चाहिए.
रावण दहन का प्रतीकात्मक महत्व
इसके अलावा, वहां आए पंडित जी ने कहा कि हर साल हम रावण को नहीं, बल्कि उसके प्रतीक को जलाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि रावण में बहुत सारी खूबियां थीं, लेकिन उसकी सबसे बड़ी बुराई उसका अहंकार था. इस अहंकार की वजह से उसने कई गलत काम किए, जिनके चलते उसका नाश हो गया. इसलिए हर साल रावण के प्रतीक को जलाया जाता है, ताकि हम सभी के अंदर ऐसा अहंकार न आए.
Tags: Dussehra Festival, Local18, New Delhi, Special Project
FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 12:37 IST