नई दिल्ली: हरियाणा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस को पटखनी दे दी. भाजपा के सामने राहुल गांधी की चाल धरी की धरी रह गी. भाजपा ने हरियाणा में यूं ही तीसरी बार जीत दर्ज नहीं की है. राहुल गांधी को पटखनी देने के लिए भाजपा ने एक एबीसीडी वाला प्लान बनाया था. हरियाणा में 10 साल तक भाजपा का राज था. उसके खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी का माहौल था. कांग्रेस के पक्ष में हवा दिख रही थी. राहुल गांधी जीत को लेकर आश्वस्त थे. तभी भाजपा ने लगातार तीसरी बार हरियाणा फतह करने का ऐसा प्लान बनाया कि कांग्रेस चारों खाने चित हो गई. इस तरह कांग्रेस हरियाणा में सत्ता से लगातार तीसरी बार दूर रह गई. चलिए जानते हैं कि भाजपा की जीत के प्रमुख कारण क्या थे, कौन सा प्लान काम कर गया?
भाजपा को अच्छे से पता था कि हरियाणा में दस साल तक रहने के बाद सत्ता विरोधी लहर का उसे सामना करना पड़ सकता है. आम वोटर ही नहीं, उसके कार्यकर्ता भी कुछ नाराज बताए जा रहे थे. इसके लिए भाजपा ने अपना प्लान बनाया और उसे जमीन पर उतारा. प्लान यह था कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने और पार्टी के कामकाज को नजदीक से समझने के लिए भाजपा ने हरियाणा स्टेट को 4 सेक्टर में बांटा था. हर सेक्टर में सीनियर भाजपा नेताओं ने जिम्मेदारी ली थी. धर्मेंद्र प्रधान, सतीश पूनिया, बिप्लब देव और सुरेंद्र नागर ने अलग-अलग सेक्टर की जिम्मेदारी ली थी. इसी के साथ कार्यकर्ताओं के साथ संवाद शुरू किया गया. सभी विधानसभा सीटों को ग्रेडिंग सिस्टम में बांटा गया. मतलब A, B, C और D कैटेगरी में सीटें बांटी गई. A और B कैटेगरी वाली सीटों पर 5 फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया. C में 5 से 10 फीसदी वोट और D कैटेगरी में वोटों को अलग-अलग दलों में बांटने का लक्ष्य रखा गया था.
हरियाणा में भाजपा की जीत प्रमुख कारण:
– किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए 24 फसलों की देश में सबसे ज्यादा एमएसपी पर खरीददारी हुई.
– भारतीय किसान संघ ने गांव-गांव जाकर चौपाल का आयोजन किया और किसानों के लिए सरकार के काम को जमीन पर उतारा. भाजपा से जुड़े ये किसान संघ वाले किसानों को समझाने में सफल रहे कि केंद्र और राज्य सरकार किसान हित में फैसले ले रही है.
– भाजपा का सबसे बड़ा और मेजर फैसला यह रहा कि ओबीसी क्रीमी लेयर की जो सीमा 6 लाख थी, उसे बढ़ाकर 8 लाख किया गया. देश के बाकी राज्यों में 8 लाख लिमिट थी. लेकिन हरियाणा में वह लिमिट 6 लाख की थी. इससे ओबीसी वर्ग में एक बहुत बड़ा तबका सरकार से नाराज था.
– फैमिली आईडी और प्रॉपर्टी आईडी के लिए शुरू किए पोर्टल की परेशानियों को दूर किया गया. हरियाणा की जनता के लिए चुनाव से ठीक पहले बिना पोर्टल के भी अगले 6 महीने तक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, का फैसला ट्रंप कार्ड साबित हुआ.
– एक लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को रेगुलराइज किया गया.
– भाजपा ने इस चुनाव को पहले दिन से लो प्रोफाइल रखने की योजना बनाई थी.
– संघ ने लगातार भाजपा के साथ जमीनी स्तर पर कॉर्डिनेशन बनाए रखा.
– हर निगेटिव बूथ पर 50 वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया.
– गांवों और बूथ स्तर पर मोटरसाइकिल ग्रुप बनाया गया. मतलब बूथ स्तर पर 5 से 11 मोटरसाइकिल वालों का ग्रुप बनाया गया. यह पार्टी के प्रचार प्रसार का काम करने के लिए तैयार किया था.
– ग्राम प्रधानों की समस्या को दूर किया गया. बिना टेंडर के 21 लाख तक का ग्राम प्रधान को परमिशन दिया गया. इससे पहले खट्टर के मुख्यमंत्री रहते यह लिमिट 10 लाख थी और उसके बाद ई टेंडरिंग के जरिए काम कराया जा सकता था,जिसे नायब सिंह सैनी ने बदल दिया.
– मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी छवि लो प्रोफाइल बनाए रखी. चुनाव से पहले अपने घर के गेट को खोल दिया. उनके घर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भोजन कराकर ही वापस जाने दिया जाता था.
क्या रहा हरियाणा विधानसभा चुनाव का रिजल्ट
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हैट्रिक बाजी मारी. एग्जिट पोल में कांग्रेस के जीत की भविष्यवाणी की गई थी. मगर फाइनल नतीजों ने उलट जनादेश दिया. हरियाणा में भाजपा 48 सीट जीतने में कामयाब रही. हरियाणा में बहुमत का आंकड़ा 46 है. कांग्रेस हरियाणा में 37 सीट अपने खाते में कर पाई. आईएनएलडी दो और अन्य के खाते में तीन सीटें गईं. इस तरह से भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है.
Tags: BJP, Congress, Haryana news, Rahul gandhi
FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 08:50 IST