कुल्लू में होगी सुनने की क्षमता की जांच! बच्चों का हो सकेगा BERA टेस्ट

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बेरा

बेरा टेस्ट करते हुए ऑडियोलॉजिस्ट 

कुल्लू: हिमाचल के कुल्लू के क्षेत्रीय अस्पताल में अब छोटे बच्चों के सुनने की क्षमता का परीक्षण शुरू किया गया है. इससे जिला कुल्लू, मंडी, लाहौल स्पीति और चंबा के पांगी क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा. पहले इस परीक्षण के लिए शिमला और टांडा अस्पताल जाना पड़ता था, लेकिन अब यह सुविधा स्थानीय अस्पताल में उपलब्ध है.

क्या होता है BERA (बेरा) टेस्ट
ब्रेन इवोक्ड रिस्पॉन्स ऑडिटरी (BERA) 1 से 3 साल की उम्र के बच्चों पर की जाने वाली एक श्रवण परीक्षा है. इस बीच कम उम्र के बच्चों के लिए ओटो एकॉस्टिक एमिशन (OAE) परीक्षा ली जा सकती है. यदि BERA परीक्षण के परिणाम सामान्य आते हैं तो यह दर्शाता है कि बच्चे का श्रवण कार्य सामान्य है और आगे चिकित्सा उपचार आवश्यक नहीं है.

कैसे होता है BERA टेस्ट?
BERA टेस्ट के लिए रोगियों को लेटने की आवश्यकता होती है. बच्चों के लिए यह परीक्षण जागते हुए, सोते हुए या एनेस्थीसिया में किया जाता है. BERA प्रक्रिया में रोगी के सिर और कान के पीछे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, और हेडफ़ोन के माध्यम से ध्वनियाँ सुनाई जाती हैं. यह परीक्षा मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि में परिवर्तन को मापती है, जिससे सुनने की हानि का संकेत मिलता है. यह परीक्षण दर्द रहित है और इसके लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती.

BERA टेस्ट से पहले किन बातों का रखें ध्यान
ऑडियोलॉजिस्ट मानव चौधरी बताते हैं कि टेस्ट से पहले पैरेंट्स बच्चों को ज्यादा जगाए रखें ताकि टेस्ट के समय बच्चा सो सके. टेस्ट के दिन बच्चों को सुबह नाश्ता कराना चाहिए और 2 घंटे पहले कुछ भी नहीं खिलाना चाहिए. बच्चों के बालों में शैम्पू या तेल न लगाएं, इससे रिजल्ट पर असर पड़ सकता है.

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टेस्ट शुरू होने से लोगों को हो रही आसानी
कुल्लू अस्पताल में टेस्ट करवाने आने वाले बच्चों के पैरेंट्स ने इस सुविधा पर खुशी जताई है. पुष्पा ने बताया कि वह अपने बेटे के लिए पिछले 3 साल से टेस्ट करवाने की कोशिश कर रही थीं. अब कुल्लू में टेस्ट शुरू होने से उनके बेटे की स्पीच थेरेपी में आसानी होगी. कटराई के राकेश उपाध्याय ने भी कहा कि अब इलाज में मदद मिलेगी.

डिसेबिलिटी कार्ड बनने में भी होगी आसानी
डॉक्टर श्रुति मोरे भारद्वाज ने लोकल 18 को बताया कि इस टेस्ट की रिपोर्ट डिसेबिलिटी कार्ड बनाने में भी काम आती है. कुल्लू में यह टेस्ट होने से बच्चों की थेरेपी सही वक्त पर शुरू की जा सकेगी और परिवार का शिमला या टांडा जाने का समय बचेगा.

Tags: Himachal pradesh news, Kullu News, Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 10:43 IST

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