बाराबंकी. भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है. जीवन-यापन के लिए कृषि ही आजीविका का मुख्य साधन है. यही वजह है उत्तर प्रदेश में खेती-किसानी के प्रति लोगों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है. किसान पारंपरिक धान और गेहूं को छोड़ नगदी फसल की खेती करने लगे हैं. नगदी फसल में फल, फूल, सब्जी, मसाले सहित अन्य की खेती कर रहे हैं. बाराबंकी के किसान गया प्रसाद ने दो बीघा में मसाले की खेती शुरू की है. इसके अलावा बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं. दोनों फसल से किसान को तगड़ी कमाई हो रही है.
गया प्रसाद ने दो बीघा में की है हल्दी की खेती
बाराबंकी जिला स्थित बिशनपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान गया प्रसाद ने लोकल 18 को बताया कि मसाले की खेती में ना ज्यादा लागत लगती है और ना ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. खासकर हल्दी की खेती में बिना अधिक खर्च किए लाखों में कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि हल्दी की अच्छी पैदावार लेने के लिए दोमट और बलुई मिट्टी में होनी चाहिए. इसकी खेती के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत नहीं होती. उन्होंने बताया कि फिलहाल दो बीघे में हल्दी की खेती कर रहे हैं. एक सीजन में आराम से 3 लाख तक की कमाई हो जाती है. किसान गया प्रसाद ने बताया कि हल्दी की खेती दो सालों से कर रहे हैं, क्योंकि अन्य फसलों के मुकाबले हल्दी की खेती में मुनाफा अच्छा मिलता है.
सात से आठ में फसल हो जाती है तैयार
किसान गया प्रसाद ने लोकल 18 को बताया कि इस समय दो बीघे में हल्दी की फसल लगी हुई है. हल्दी की खेती करने पर एक बीघे में 15 से 20 हजार की लागत आती है और मुनाफा लगभग तीन लाख तक हो जाती है. हल्दी की डिमांड बाजार में सालोभर रहती है और रेट भी बेहतर मिल जाता है. उन्होंने बताया कि हल्दी की खेती करना बेहद आसान है. सबसे पहले खेत की गहरी जोताई की जाती है. उसके बाद खेत में मेड़ बनाकर हल्दी की लाइन टू लाइन बुवाई की जाती है. वहीं करीब 10 से 15 दिनों बाद पौधा निकल आता है. पौधा निकलने के बाद इसमें जैविक खाद का छिड़काव कर पानी की सिंचाई करनी होती है. वहीं 7 से 8 महीने में फसल तैयार हो जाती है. खुदाई कर निकालने के बाद हल्दी की बिक्री कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 17:59 IST