Last Updated:January 23, 2025, 14:58 IST
india-Bangladesh Relation: बांगलादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को भारत से प्रत्यर्पित कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाने की बात कही है. वहीं भारत शेख हसीना को लेकर किसी भी दबाव में नहीं आना चाहता है. ऐसे...और पढ़ें
बांगलादेश की अंतरिम सरकार ने एक बार फिर कहा है कि वह अपनी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के प्रयासों को जारी रखेगी और अगर जरूरत पड़ी तो वह अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मांगेगी. कानून विभाग के सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा कि अगर भारत हसीना को वापस नहीं करता है, तो यह भारत और बांगलादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन होगा. 77 वर्षीय शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त से भारत में हैं. हसीना के खिलाफ आंदोलन की वजह से उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. बांगलादेश के आंतरिक अपराध न्यायालय ने हसीना और उनके कुछ पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और नागरिक अधिकारियों के खिलाफ ‘मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार’ के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
हसीना का प्रत्यर्पण करवाना कितना संभव
पिछले साल ढाका ने नई दिल्ली को शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए एक राजनयिक पत्र भेजा था. नजरूल ने कहा कि हमने प्रत्यर्पण के लिए पत्र भेजा है. अगर भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित नहीं करता है, तो यह बांगलादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि का स्पष्ट उल्लंघन होगा. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उठाएगा. विदेश मंत्रालय इसके लिए प्रयास तैयार कर रहा है. शेख हसीना के खिलाफ एक रेड अलर्ट पहले ही जारी किया जा चुका है. लेकिन, कानूनी प्रावधान ऐसे हैं कि भारत को हसीना को बांग्लादेश भेजने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. जानकारों का कहना है कि भारत-बांगलादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत, प्रत्यर्पण से इनकार के पीछे यह कारण बताया जा सकता है कि अपराध ‘राजनीतिक प्रकृति’ का है.
आईसीसी का दरवाजा खटखटाया
बांगलादेश पहले ही शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) में मुकदमा चलाने की मांग कर चुका है. वह पहले ही बांग्लादेश के आंतरिक अदालत में मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में मुकदमे का सामना कर रही हैं. बांगलादेश हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरोपों को आगे बढ़ाना चाहता है. जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए कथित जन संहार और पिछले 15 वर्षों में उनकी सरकार के दौरान जबरन गायब किए गए लोगों के मामले में ये आरोप लगाए गए हैं. ढाका ने हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए इंटरपोल की भी मदद मांगी है.
वैश्विक परिदृश्य
तमाम तकनीकी कार्रवाइयों के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या वैश्विक परिदृश्य है. ढाका में पिछले साल भड़के विरोध प्रदर्शन के पीछे शेख हसीना ने अमेरिका का हाथ बताया था. लेकिन, बीते करीब छह माह में अमेरिका की राजनीति बदल गई है.उस वक्त जो बाइडन की सरकार थी लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति हैं. डोनाल्ड ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को लेकर अपनी बात कह चुके हैं. दूसरी तरफ ट्रंप निजी तौर पर भी प्रो. यूनुस की सरकार से खुश नहीं है. क्योंकि यूनुस की बेटी अमेरिकी में डेमोक्रेट पार्टी की करीबी हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूनुस की बेटी ने 2016 में हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति अभियान में तीन लाख डॉलर का दान दिया था.
भारत को झुकाना आसान नहीं
बांग्लादेश जरूर शेख हसीना के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहता है. लेकिन, भारत हर कीमत पर शेख हसीना का बचाव करेगा. भारत की विदेश नीति पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर रही है. सरकार और विपक्ष विदेश नीति को लेकर करीब-करीब एक लाइन पर रहते हैं. जहां तक शेख हसीना की बात है तो भारत के भीतर उनके लिए सरकार और विपक्ष दोनों में एक सहानुभूति हैं. भारत सरकार पर शेख हसीना को लेकर कोई आंतरिक दबाव नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बांग्लादेश उठाएगा मुद्दा
बांग्लादेश की यूनुस सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शेख हसीना का मुद्दा उठाकर भारत को घेरना चाहेगा. लेकिन, मौजूदा वक्त में स्थिति काफी बदल चुकी है. वैश्विक मंच पर भारत बहुत बड़ी ताकत बन चुका है. वह जी-20, जी-7, ब्रिक्स, क्वाड जैसे समूहों का सदस्य है. इन समूहों में दूर-दूर तक बांग्लादेश की एंट्री नहीं दिखती. दूसरी तरफ सार्क जैसे कुछ समूह थे जिसमें बांग्लादेश था. लेकिन अब ये समूह अपनी सार्थकता खो चुके हैं.
First Published :
January 23, 2025, 14:58 IST