Last Updated:February 07, 2025, 08:01 IST
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 3.8 अरब साल पहले एक क्षुद्रग्रह के टकराव ने दो विशाल घाटियां बनाई थीं. लेकिन रोचक स्टडी ने बताया कि यह सब केवल 10 मिनट के अंदर ही हो गया था. शोधकर्ता यह तक पता लगाने में कामयाब रहे ...और पढ़ें
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चंद्रमा के श्रोडिंगर बेसिन में ये घाटियां बनी थीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
चंद्रमा की सतह सपाट नहीं है. उसमें बहुत तरह की भूआकृतियां जिनमें क्रेटर्स का खास तौर से जिक्र होता है. इन्हें क्षुद्रग्रहों के टकराव ने बनाया है. पर चंद्रमा पर यह अकेली आकृति नहीं है. वहां पर कई खाइयां या कंदराएं भी हैं. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में भी दो विशाल घाटियां हैं जो कि क्षुद्रग्रहों के टकराव से ही बनी हैं. नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने बहुत ही रोचक नतीजा पाया है कि एक क्षुद्रग्रह के टकराव ने इन आकृतियों को केवल 10 मिनट के भीतर ही बना डाला था.
कहां और कब हुआ था यह टकराव
नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित इस रोचक अध्ययन में बताया गया है कि यह कैसे हुआ था. 3.8 अरब साल पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इन विशालकाय घाटियों को बनाया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि एक तेज़ गति वाला क्षुद्रग्रह या धूमकेतु चंद्रमा की सतह से टकराया था, जिससे मलबा पूरे क्षेत्र में उड़ गया. इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ ही क्षणों में गहरी घाटियां बन गईं.
कितना शक्तिशाली था वह टकराव
शोधकर्ताओं ने बताया कि जहां एरिजोना में ग्रैंड कैन्यन को आकार देने में पानी को 50 से 60 लाख साल लगे, जबकि प्रभाव की अत्यधिक ऊर्जा के कारण ये चंद्र संरचनाएं कुछ ही मिनटों में बन गईं. उनका अनुमान है कि यह टकराव पनामा नहर की खुदाई के लिए विचार किए परमाणु विस्फोट से 1200 से 2200 गुना ज्यादा ताकतवर था. इतना ही नहीं यह अमेरिका, सोवियत संघ और चीन सभी के सारे परमाणु परीक्षण के विस्फोटों को मिला कर एक विस्फोट से भी 700 गुना ज्यादा ताकतवर था.
चंद्रमा पर यह टकराव बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली था. (तस्वीर: NASA)
कैसे हुआ था टकराव?
लूनार एंड प्लैनेटरी इंस्टीट्यूट के प्रमुख वैज्ञानिक और प्रमुख अध्ययन लेखक डॉ. डेविड क्रिंग ने सीएनएन को बताया, “लगभग चार अरब साल पहले, एक क्षुद्रग्रह या धूमकेतु चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के ऊपर से गुज़रा था. यह मालापर्ट और माउटन की पर्वत चोटियों को छूते हुए चंद्रमा की सतह से टकराया. टकराव का नतीजा ये हुआ कि उससे चट्टान से उच्च-ऊर्जा धाराएँ निकलीं, जिसने 10 मिनट से भी कम समय में दो घाटियां बना दीं.”
कितनी बड़ी और गहरी हैं ये घाटियां?
चंद्रमा के इम्पैक्ट बेसिन के अंदर वैलिस श्रोडिंगर और वैलिस प्लैंक नाम की दो घाटियां है. यह बेसिन के दक्षिणी ध्रुव के पास एक बहुत बड़ा गड्ढा है. वैलिस श्रोडिंगर270 किलोमीटर लंबा और 2.7 किलोमीटर गहरा है. वहीं वैलिस प्लैंक 280 किलोमीटर लंबा और 3.5 किलोमीटर गहरा है. दोनों घाटियां जिस मलबे से बनीं वह चंद्रमा की सतह से 3600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया था.
पृथ्वी और चंद्रमा दोनों पर ही एक ही समय में 4 अरब साल पहले क्षुद्रग्रहों की बारिश हुई थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
इम्पैक्ट क्रेटरिंग मॉडल का उपयोग
शोधकर्ताओं ने 2009 में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे नासा के लूनार रिकॉनायसेंस ऑर्बिटर से छवियों और ऊंचाई के आंकड़ों का अध्ययन किया. इम्पैक्ट क्रेटरिंग मॉडल का उपयोग कर वे टकराने वाली वस्तु के वेग और टकराव के दौरान निकली ऊर्जा की गणना कर पाए थे.
पृथ्वी और चंद्रमा पर टकराव
अध्ययन बताता है कि कैसे इस तरह के टकराव ग्रहों की सतहों को आकार देने का काम करते हैं. करीब 2.8 अरब साल पहले पृथ्वी और चंद्रमा दोनों की सतह पर क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं की बारिश हुई थी. उस दौर को “लेट हैवी बमबार्डमेंट” कहा जाता है. जहां पृथ्वी की क्रेटर समय के साथ मौसम के प्रभाव और भूगर्भीय गतिविधियों के कारण घिस गए या खत्म हो गए, चंद्रमा की सतह पर किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया.
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अध्ययन के सहल खक गैरेथ कोलिन्स का कहना है कि श्रोडिंगर इम्पैक्ट बेसिन इसलिए भी खास है क्योंकि वह पृथ्वी कि टचिक्सूलुब क्रेटर से मेल खाता है जिसे उस क्षुद्रग्रह के टकराव से जोड़ा जाता है जिसके बाद डायनासोर विलुप्त हो गए थे. उन्होंने बताया कि इस अध्ययन ने गहरी खाइयों के निर्माण की जानकारी हासिल कर पता लगाया है कि ऊर्जावान टकराव किस तरह का असर डाल सकते हैं.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
February 07, 2025, 08:01 IST