Agency:News18 Uttarakhand
Last Updated:January 21, 2025, 09:10 IST
Bageshwar: बाबा बागनाथ को घी का आवरण चढ़ा दिया गया है, इसके लिए 12 किलो गाय का शुद्ध देसी घी इस्तेमाल हुआ है. ये आवरण अब फाल्गुन माह की पहली तिथि को हटेगा. इसके पीछे क्या मान्यता है, जानते हैं.
घी में लिपटे बाबा बागनाथ
बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर में देवी-देवताओं से जुड़ी कई मान्यताएं बखूबी निभाई जाती हैं. इन्हीं में से एक मान्यता भगवान शिव से जुड़ी है. दरअसल बागेश्वर के बाबा बागनाथ को माघ के महीने में घी का आवरण चढ़ाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार मंदिर की स्थापना से ही भगवान शिव को घी का आवरण चढ़ाने की प्रथा रही है. हर साल की तरह इस साल भी बाबा बागनाथ ने घी का आवरण ओढ़ लिया है. करीब 12 किलो घी से बाबा बागनाथ के शिवलिंग का आवरण किया गया है. अब एक महीने तक बाबा बागनाथ इसी रूप में भक्तों को दर्शन देंगे.
इस दिन हटेगा घी का आवरण
बागेश्वर बाबा बागनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी नंदन रावल ने लोकल 18 को बताया कि भगवान शिव को मकर संक्रांति के त्रिमाघी स्नान के बाद घी का आवरण चढ़ाया जाता है. शिवलिंग को घी की मदद से गुफा का रूप दिया जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव माघ महीने में कठोर तपस्या में लीन हो जाते हैं. इसी वजह से उनके लिए घी की गुफा तैयार की जाती है. इसलिए शिवलिंग पर घी का आवरण चढ़ाया जाता है. घी के आवरण को फाल्गुन महीने की पहली तिथि (25 फरवरी) को हटाया जाएगा. तब तक बाबा बागनाथ इसी रूप में भक्तों को दर्शन देंगे.
गाय का घी होता है इस्तेमाल
इस दौरान मंदिर में पहले की तरह पूजा-अर्चना होती रहेगी. बागेश्वर में त्रिमाघी स्नान के बाद भगवान शिव को घी का आवरण चढ़ाया जाता है. जबकि जागेश्वर में मकरसंक्रांति के दिन चढ़ाया जाता है. शिवलिंग पर चढ़ने वाला घी श्रद्धालु की ओर से दिया जाता है. भक्त अपनी इच्छानुसार मंदिर समिति को पतंजलि से खरीदा गाय का घी देते हैं. इस घी को एकत्रित कर त्रिमाघी समाप्ति के बाद शिवलिंग में ओढ़ाया जाता है.
करनी होती है ये तैयारी
घी चढ़ाने से पहले मंदिर के प्रधान पुजारी त्रिवेणी संगम में तीन दिन तक दो समय का स्नान करते हैं. त्रिमाघी का व्रत रखते हैं. माघ के महीने में तीन दिन तक व्रत रखने के बाद शिवलिंग को स्नान कराया जाता है. विधि-विधान के साथ बाबा बागनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. तब जाकर बाबा बागनाथ को घी का आवरण चढ़ाया जाता है. आवरण की सुरक्षा के लिए शिवलिंग के ऊपर लाल रंग का कपड़ा भी रखा जाता है.
ये है मान्यता
फाल्गुन महीने की पहली तिथि को सुबह चार बजे घी का आवरण हटाया जाता है. इसके बाद घी प्रधान पुजारी के घर जाता है. वहां से मुट्ठी भर घी शिव भक्तों को आशीर्वाद के रूप में बांटा जाता है. लेकिन इस घी को खाया नहीं जाता, ना ही इसका दिया जलाया जाता है. बल्कि घी को शरीर में लगाया जाता है. मान्यता है कि चर्मरोग या फिर अन्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति अगर घी को दर्द वाले हिस्से में लगा ले तो दर्द या रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है.
Location :
Bageshwar,Uttarakhand
First Published :
January 21, 2025, 09:10 IST
12 किलो घी में लिपटे बाबा बागनाथ, एक महीने ऐसे ही देंगे दर्शन, ये है मान्यता