इस युवा किसान ने शुरू की है ड्रैगन फ्रूट की खेती, जानें कहां से मिला आइडिया

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:January 21, 2025, 12:59 IST

Vaishali Dragon Fruit Farming: वैशाली जिले के रहने वाले किसान सत्यवीर सिंह 10 कट्‌ठे में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. फिलहाल नागपुर, हल्द्वानी एवं हरियाणा से श्रीलंकन जम्बो रेड, सीएम रेड एवं एलिस रेड प्रभेद...और पढ़ें

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ड्रैगन

ड्रैगन फ्रूट की खेत में किस सत्यवीर सिंह

वैशाली. बिहार वैशाली में भी अब ड्रैगन फूट की खेती होने लगी है. जिले के देसरी प्रखंड अंतर्गत जहांगीरपुर के किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर मिशाल पेश कर रहे हैं. किसान सत्यवीर कुमार सिंह अपने गांव  में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. दरअसल, सत्यवीर सिंह मछली पालन का प्रशिक्षण लेने के लिए किशनगंज गए थे. मत्स्य विभाग जहां प्रशिक्षण दिला रहा था, दसी कैंपस में ड्रैगन फ्रूट का भी पौधा लगा हुआ था. ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में पता करने के बाद सही जानकारी नहीं मिल पाई तो सत्यवीर सिंह हरियाणा के किसानों से संपर्क किया और वहीं से प्रशिक्षण लिया. फिलहाल 10 कट्‌ठे में 125 पिलर पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए हुए हैं.

10 कट्‌ठे में कर रहे हैं ड्रैगन फ्रूट की खेती

किसान सत्यवीर कुमार सिंह ने बताया कि अभी दस कठ्टा में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. वहीं एक एकड़ में इस फल की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में रासायनिक खाद प्रयोग ना कर जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं और अभी 125 पिलर में प्रति पिलर चार पौधा लगाए हैं. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाने का समय फरवरी से मार्च एवं जून से जुलाई के बीच रहता है. इस समय ना ज्यादा ठंड होती है और ना ज्यादा गर्मी होती है. इसके फलने का समय अप्रैल से नवम्बर माह तक है. अभी श्रीलंकन जम्बो रेड, सीएम रेड एवं एलिस रेड प्रभेद का पौधा लगाए हैं. पौधों की खरीदारी नागपुर, हल्द्वानी एवं हरियाणा के किया गया है. ट्रैवलिंग आदि को लेकर प्रति पौधा 85 रुपये की लागत आई है. एक पिलर लगाने का खर्च 600 रुपए आया है.

सरकार से भी मिल रही है मदद

किसान ने बताया कि 100 रूपए प्रति पीस के हिसाब से बाजार में ड्रैगन फ्रूट की बिक्री होती है. एक पिलर में चारों पौधों से 20-25 किलो फल मिलता है. एक फल का वचन करीब 200 ग्राम होता है. वहीं पौधों से 2 साल में फल मिलने लगता है. पौधों से स्वस्थ फल मिले, इसके लिए लगातार देखभाल भी की जाती है. वहीं  एक पिलर से दूसरे पिलर की दूरी 9 फीट एवं एक लाइन से दूसरे लाइन की दूरी 12 फीट रखी जाती है. खाद के रूप में गोबर, बालू और मिट्टी का प्रयोग दो महीने पर किया जाता है. इसमें सिंचाई का विशेष ख्याल रखना पड़ता है. इस फल की खेती में सरकार से भी मदद मिल रही है. उद्यान विभाग की ओर से एक एकड़ में खेती के लिए निःशुल्क पौधा मिला है. इस पौधे को लगाने के लिए खेत तैयार करने का कार्य चल रहा है. यह पौधा देख-रेख के अनुसार 20 साल तक जीवित रहता है.

First Published :

January 21, 2025, 12:59 IST

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