सिर्फ बगीचे बनकर रह गए हैं पेड़... प्रोसेसिंग यूनिट की कमी से खराब हो गए काजू

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Agency:News18 Madhya Pradesh

Last Updated:January 21, 2025, 16:06 IST

Cashew farmers successful Balaghat: बालाघाट के किसानों ने काजू की खेती में संभावनाएं तो खोजीं, लेकिन सरकारी उदासीनता ने उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिलने दिया. प्रोसेसिंग यूनिट की कमी और बाजार तक पहुंच के अभाव ने किसानो...और पढ़ें

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काजू

काजू के पेड़ 

MP cashew farming news: जिले में पहले जो कभी नहीं हुआ, वो अब वो चमत्कार हुआ. बीते 10 साल में काजू की खेती शुरू ही नहीं हुई, बल्कि जबरदस्त उत्पादन भी हुआ. इसके बावजूद काजू उत्पादक किसान परेशान है. दरअसल, काजू की खेती तो शुरू हुई लेकिन इसकी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगने से काजू का कोई मोल नहीं रह जाता है. इससे पहले किसानों ने काजू के पेड़ों को काटने का ऐलान किया था लेकिन अब फैसले पर यू टर्न ले लिया है. उनका कहना है कि किसान के लिए फसल बेटे की तरह होती है, ऐसे में किसानों का पेड़ काटना ठीक नहीं रहेगा.

साल 2019 में शुरू हुई प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की कवायद
बालाघाट के बैहर इलाके में साल 2019 से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की तैयारी की जा रही है. लेकिन उद्यानिकी विभाग और जिम्मेदार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे है. वहीं, काजू किसानों को मार्केट दिलाने का भी आश्वासन दिया गया था.

किसानों काजू खराब हो गए लेकिन…
काजू किसान बिरजू उइके ने बताया कि एक साल पहले काजू का बंपर उत्पादन हुआ. लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से ये काजू रखे-रखे ही खराब हो गए. ऐसे में काजू के पेड़ सिर्फ बगीचा बनकर रह गए है.

अब उग्र आंदोलन की तैयारी
शिखर एनजीओ के प्रमुख संतोष टेम्भरे ने बताया कि उद्यानिकी अधिकारी, नाबार्ड और काजू बोर्ड से अब तक हमें संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.  पांच साल बीत जाने के बावजूद भी काजू की प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लग पाई है. इसके बाद हम उग्र आंदोलन करने की तैयारी कर रही है.

किसान के नाम से ही बना दिया डीपीआर
बीते महीने पेड़ काटने के ऐलान के बाद सिस्टम ने संतोष टेम्भरे के नाम से डीपीआर बना दिया गया है. ऐसे में सिर्फ एक किसान के नाम से ही प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी. किसान ने बताया कि छोटे किसान है ऐसा करने से समस्या का स्थाई समाधान नहीं होगा.

ऐसे शुरू हुई बालाघाट में काजू की खेती
शिखर एनजीओ के प्रमुख संतोष टेम्भरे को साल 2013 में देवरी मेटा के पास एक बंजर पहाड़ी को हरा भरा करने का विचार आया. इसमें वह कोई अलग फसल लगाना चाहते थे. ऐसे में यहां की जलवायु में काजू के पौधे पनप गए. यहां काजू फसल की सफलता के बाद दूसरे किसानों ने निजी जमीन पर काजू की खेती करना शुरू कर दिया. खास बात ये कि इस फसल को तैयार करने के लिए किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया गया. यहां पर काजू बोर्ड के डायरेक्टर एन. व्यंकटेश भी आ चुके हैं.

40-45 किसान कर रहे काजू की खेती
देवरी मेटा में काजू फसल की सफलता के बाद आसपास के गांव वालों ने इसकी खेती शुरू की. संतोष टेम्भरे बताते हैं कि बैहर, बिरसा, वारासिवनी सहित कई इलाकों में अब काजू की खेती शुरू हुई. बालाघाट में 40-45 छोटे बड़े किसान काजू की खेती कर रहे हैं. इनमें मंडई के झामसिंग मरकाम 2 एकड़ में काजू की खेती करते हैं. इनके खेत में काजू के 200 पेड़ हैं. इनके अलावा गढ़ी के दीपक टेकाम 9 एकड़ में खेती करते हैं. वहीं, पौंडी निवासी ओमेंद्र बिसेन 5 एकड़ में खेती करते हैं.

Location :

Balaghat,Madhya Pradesh

First Published :

January 21, 2025, 16:06 IST

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