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Last Updated:January 21, 2025, 16:07 IST
Republic Day main guest: रिपब्लिक डे परेड में अंतरराष्ट्रीय मुख्य अतिथि का शामिल होना भारत की परंपरा रही है. इसकी शुरुआत 1950 के आसपास हुई थी.
हर साल 26 जनवरी को दिल्ली की सर्द सुबह में, जब तिरंगा लहराता है और हमारे जवान मार्च करते हैं, एक सवाल अक्सर हमारे दिमाग में आता है- “क्या वाकई यह परंपरा है कि इस दिन विदेशी मेहमान इसमें शामिल होने आते हैं?” और फिर हमें समझ में आता है कि इस दिन भारत में आने वाले मेहमान सिर्फ कोई साधारण अतिथि नहीं होते, बल्कि ये हमारे रिश्तों और कूटनीति के अहम कड़ी होते हैं. इस परंपरा की शुरुआत कब हुई, इसका क्या कारण है, और क्यों विदेशों से नेता इस खास दिन हमारे बीच होते हैं, आइए जानते हैं.
क्या है ये परंपरा?
रिपब्लिक डे पर विदेशों से मेहमानों को बुलाना एक पुरानी परंपरा है. ये शुरुआत 1950 के आसपास हुई थी, जब भारत ने दुनिया के साथ अपने रिश्ते और मजबूत करने की कोशिश की थी. इस दिन विदेशी नेताओं को आमंत्रित करने से भारत का महत्व दुनिया में और बढ़ता है. साथ ही, ये हमारे रिश्तों को भी मजबूत बनाता है.
रिपब्लिक डे परेड में मुख्य अतिथि का चयन विदेश नीति और द्विपक्षीय रिश्तों के आधार पर किया जाता है. यह मुख्य अतिथि वह राष्ट्रध्यक्ष या प्रमुख नेता होते हैं, जिनके साथ भारत के अच्छे राजनयिक रिश्ते होते हैं.
किस लिए बुलाए जाते हैं मेहमान?
रिपब्लिक डे पर विदेशी मेहमानों को बुलाने का एक बड़ा फायदा यह है कि इससे भारत के कूटनीतिक रिश्ते बेहतर होते हैं. हर साल मेहमानों का चुनाव इस आधार पर होता है कि भारत के लिए किस देश से रिश्ते और अच्छे हो सकते हैं. इससे व्यापार, रक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ता है.
टूरिज्म को मिलता है बढ़ावा
जब विदेशी मेहमान भारत आते हैं, तो इसका असर हमारे पर्यटन पर भी पड़ता है. मीडिया में इस दिन की बहुत खबरें आती हैं, जिससे भारत की संस्कृति और परंपराओं को पूरी दुनिया में देखा जाता है. इससे भारत में विदेशी पर्यटकों का आकर्षण बढ़ता है और देश की खूबसूरती को और लोग जान पाते हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 21, 2025, 16:06 IST