40 लाख सैलरी, 400 कर्मचारी के बॉस थे ये बाबा; महाकुंभ में अब भस्म लगाए कर रहे तपस्या

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Mahakumbh 2025 Image Source : FILE PHOTO एमटेक वाले बाबा दिगंबर कृष्ण गिरि

महाकुंभ के शुरू होते ही कई साधु, संत, साध्वी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, पहले चिमटा वाले बाबा, हर्षा रिछारिया और फिर आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह। अब एक और बाबा की कहानी तेजी से सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। इनका नाम एमटेक वाले बाबा, इनकी सैलरी व पद जान आपके होश उड़ जाएंगे। एक समय था जब बाबा की टीम में 400 लोग काम करते थे आज बाबा नागा साधु की तरह जीवन जी रहे हैं।

2010 में बने साधु

बाबा ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने कई सालों तक इंजीनियरिंग कंपनी में काम किया है। बाबा ने अपना नाम दिगंबर कृष्ण गिरि बताया। साथ ही बताया कि उनकी अंदर एक टीम काम करती थी, जिसमें 400 लोग थे। बाबा का पद जीएम यानी जनरल मैनेजर था। M.Tech वाले बाबा ने आगे बताया कि 2010 में उन्होंने सबकुछ त्याग दिया और संन्यास ले लिया। इतना ही नहीं बाबा ने 10 दिन हरिद्वार में भिक्षा भी मांगी।

कहां हुआ था जन्म

एमटेक बाबा ने बताया कि उनका जन्म बेंगलुरु में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री (एमटेक) हासिल की और कई कंपनी में काम किया। उन्होंने बताया कि उनकी आखिरी नौकरी नई दिल्ली की एक निजी कंपनी थी, जहां वे GM के पद पर थे और उनके अंदर 400 कर्मचारी काम किया करते थे।

ऐसे छोड़ा सबकुछ

दिगंबर कृष्ण गिरि ने बताया कि मैंने देहरादून की एक ट्रिप से वापस आ रहा था तब मैंने वहां साधुओं की एक टोली देखी, इसके बाद मेरे मन में विचार आया कि ये कौन है। जैसे-जैसे में इनके बारे में जानने लगा मेरा मन वैराग्य की ओर बढ़ चला। फिर मैंने सभी अखाड़ों का मेल किया कि मुझे आपसे जुड़ना है। लेकिन मुझे अखाड़ों से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद मैं हरिद्वार गया और मेरे पास जो भी था मैंने सब गंगा में प्रवाहित कर दिया। जब मेरे पास कुछ नहीं बचा तो मैंने साधु वेष रखकर 10 दिन तक हरिद्वार में भिक्षा भी मांगी। मेरा मानना था कि ज्यादा पैसा होने से आदत खराब हो जाती है और शांति नहीं मिल पाती।

बाबा ने आगे कहा कि इसके बाद मैंने निरंजन अखाड़े को गूगल पर सर्च किया। यहां मैंने महंत श्री राम रतन गिरी महाराज से दीक्षा ली। तब से इसी भेष में रहता हूं। अभी उत्तरकाशी के एक छोटे गांव में रहता हूं।

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