रतन टाटा (Ratan Tata) के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट का नया अध्यक्ष चुना गया है. नोएल टाटा अब टाटा ग्रुप के 34 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के कारोबार का नेतृत्व करेंगे. वह पहले से ही टाटा संस को संभाल रहे थे. टाटा ग्रुप की शुरुआत साल 1868 में जमशेदजी टाटा ने की थी. आज टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं और इसका मार्केट कैप 403 अरब डॉलर से ज्यादा का है. भारतीय रुपए में यह रकम 34 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की है.
क्या है टाटा संस, टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट
टाटा संस:
सबसे पहले टाटा संस की बात करते हैं. Tata Sons, टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी और प्रमोटर है. टाटा की सभी कंपनियां इसी के अंतर्गत आती हैं. टाटा संस की टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों में 25 से 73% तक हिस्सेदारी है. एन. चंद्रशेखरन टाटा संस के चेयरमैन हैं.
टाटा ग्रुप: टाटा के तहत आने वाली हर कंपनी को टाटा ग्रुप के नाम से पहचाना जाता है. टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं. टाटा ग्रुप की कंपनियों में टाटा संस के अलावा दूसरे शेयरहोल्डर भी हैं.
टाटा ट्रस्ट्स: अब बात करते हैं टाटा ट्रस्ट (Tata Trusts) की, जो टाटा की परोपकारी संस्था है. टाटा ट्रस्ट्स के केंद्र में दो मुख्य संस्थाएं हैं. पहली-सर रतन टाटा ट्रस्ट और दूसरी- सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट. ये दोनों ट्रस्ट सर जमशेदजी टाटा के बेटों की याद में स्थापित किए गए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि सर जमशेदजी, रतन टाटा के परदादा थे, जबकि सर रतन टाटा (Ratan Tata) उनके दादा और सर दोराबजी उनके परदादा थे.
कौन-कौन हैं ट्रस्टी
सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में कुल 13 ट्रस्टी हैं. इनमें से 5 लोग दोनों ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. ये पांच ट्रस्टी हैं: पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, टीवीएस समूह के वेणु श्रीनिवासन, रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा, व्यवसायी मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा. इसके अलावा सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के पूर्व सिटी इंडिया सीईओ प्रमित झवेरी, रतन टाटा के छोटे भाई जिमी टाटा और सर रतन टाटा ट्रस्ट के जहांगीर अस्पताल के सीईओ जहांगीर एच.सी. जहांगीर अन्य ट्रस्टी हैं.
कितना पावरफुल है टाटा ट्रस्ट
टाटा ट्रस्ट को टाटा संस का सर्वेसर्वा कहा जाता है. इसकी वजह ये है कि टाटा ट्रस्ट्स के पास अकेले टाटा संस का लगभग 66 प्रतिशत शेयर है. 52% शेयर टाटा ट्रस्ट्स के अंतर्गत आने वाले सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के पास हैं. जबकि 14% हिस्सा दूसरे ट्रस्ट के पास है. एक तरीके से कहें तो टाटा ट्रस्ट का टाटा संस पर नियंत्रण है और टाटा संस का टाटा ग्रुप पर.
रतन टाटा के निधन के बाद 11 अक्टूबर को, Tata Trusts के सदस्यों ने नए अध्यक्ष का चयन करने के लिए बैठक की और नोएल टाटा को चेयरमैन चुना गया. यह पद पूरे समूह पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा क्योंकि ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में बड़ी हिस्सेदारी हैय इसके अलावा, समूह के नियमों के अनुसार, दो मुख्य ट्रस्ट्स टाटा संस के एक-तिहाई निदेशकों को नामांकित कर सकते हैं और सभी निदेशकों की नियुक्ति और हटाने का अंतिम अधिकार भी उन्हीं के पास है.
गौरतलब है कि यह अधिकार दो ट्रस्टों को 2012 में रतन टाटा द्वारा बनाए गए नियमों के तहत मिला, जब उन्होंने टाटा चेयरपर्सन के पद से सेवानिवृत्ति ली थी. यह तब संभव हुआ जब भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम में बदलाव किए, जिससे टाटा ट्रस्ट्स को टाटा संस बोर्ड में सीधे वोट देने की अनुमति मिली.
Tags: Ratan tata, Tata Motors, Tata steel
FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 15:45 IST