कौवे बुद्धिमान होते हैं, चतुर होते हैं और वे किसी बुजुर्ग की तरह बहुत ही सयाने और समझदार होते हैं. क्या आपके मन में भी उनकी कुछ ऐसी ही छवि है? क्या आपने भी बचपन में उनकी बुद्धिमानी और समझादारी की कहानियां सुनी हैं? हैरानी की बात ये है कि केवल हिंदू धर्म और मिथकों में ही नहीं बल्कि दुनिया की कई संस्कृतियों में भी कौवे को बुद्धिमान प्राणी के तौर पर देखा जाता है. पर क्या विज्ञान भी कौवों के बारे में ऐसा ही कुछ सोचता है. आइए जानते हैं कि आखिर इस बारे में साइंस क्या कहता है.
दशकों से वैज्ञानिक भी करते आ रहे हैं प्रयोग
वैज्ञानिकों के मन भी यही सवाल आया और उन्होंने भी कई बार यह परखने की कोशिश की कि क्या कौवे वाकई में अकलमंद होते हैं. इस तरह के प्रयोग कई दशकों से किए जा रहे हैं . इन प्रयोगों में उन्होंने कई प्रकार से कौवों की बुद्धिमत्ता को मापने और परखने की कोशिश की है. उन्होंने संज्ञानात्मक क्षमता (यानी कॉग्निटिव एबिलिटीज़) जिसमें याद रखना, तार्किक क्षमता, गणना और निर्णय करने की क्षमता शामिल हैं, की भी पड़ताल की. और नतीजे हमेशा ही चौंकाने वाले ही रहे हैं.
अवलोकनों में क्या पाया गया है?
आपने इंटरनेट पर कई वीडियो देखे होंगे जिनमें कौवे समान्य पंछियों के मुकाबले बहुत तेज दिमाग वाले दिखते हैं. वैज्ञानिकों ने अपने तमाम प्रयोगों में यही पाया है कि कौवों में बेहतरीन संज्ञानात्मक होती है. यानी वे याद रखते हैं, उनमें समाधान खोजने की चाह होती है, फैसले लेते हैं और इन सब मामलों में वे वाकई तेज होते हैं. पिछले कई दशकों के अध्ययन में पाया गया है कि कौवे प्राइमेट्स के अलावा एकमात्र ऐसे जानवर हैं जो उपकरण बनाने की काबिलियत रखते हैं.
पाया गया है कि कौवे प्राइमेट और इंसानों की तरह उपकरण बना कर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
दिमाग के आकार का भ्रम
एक दलील यह भी दी जाती रही है कि प्राणियों में तेज दिमाग का संकेत दिमाग के बड़े होने से होता है. कहा यह भी जाता है कि इंसान तभी तरक्की कर सका जब उसका दिमाग बढ़ पाया था. लेकिन इस बात में दम नहीं है. आकर आकार ही कारण होता तो इंसान के मुकाबले व्हेल तो उनसे भी कई गुना ज्यादा बुद्धिमान होते. शारीर के आकार की तुलना में दिमाग का आकार को इस धारणा को एनसेफेलाइजेशन कोशेंट कहा जाता है जो केवल स्तनपायी जानवरों के मामले में सही बैठता है.
कौवे के दिमाग का खास हिस्सा
एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कौवे दिमाग के एक हिस्सा का उपयोग करते हैं जिसे पैलियम कहा जाता है. यही हिस्सा उच्च स्तर की सोचने की क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है. इंसानों में पैलियम का हिस्सा सेरिब्रल कॉर्टेक्स में पनपता है. यह प्लानिंग जैसे बुद्धिमानी संबंधी कार्यों से जुड़ा होता है.
कौवे आकार में भले ही छोटे होते हैं, लेकिन उनके दिमाग की काबिलियतें चौंकाने वाली होती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
आकार नहीं रखता ज्यादा मायने
एक बड़ा अंतर ये है कि इंसानों और यहां तक कि बुद्धिमान मानी जाने वाली डॉल्फिनों में भी जो पैलियम होता है उसकी तुलना में कौवों कौ पैलियन काफी छोटा होता है. लेकिन कौवे के न्यूरॉन छोटे होते हैं और और बहुत ही घने तौर पर आपस में गुंथे हुए होते हैं. इसके अलावा वे कम ऊर्जा भी इस्तेमाल करते हैं. उनके 15 लाख न्यूरॉन बंदरों में न्यूरॉन की संख्या के आसपास होते हैं. ऐसे में दिमाग की आकार की दलील में दम नहीं रह जाता है
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साफ है कि कौवे दिमाग से इंसानों से ज्यादा बुद्धिमान इसी साल PLOS ONE में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह तक पाया है कि कौवे एक सात साल के इंसानी बच्चे जितना बुद्धिमान होते हैं. वहीं एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कौवे इंसानों की दी गई परेशानियों को भी याद रखते हैं और उनसे लंबे समय तक बदला भी लेते रहते हैं. तो अगली बार अगर आप किसी से यह कहें कि कौवे बहुत बुद्धिमान होते हैं तो याद रखें कि विज्ञान भी आपके साथ है.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 11:51 IST