Explainer: चीन ने स्पेस स्टेशन में ही बनाए ऑक्सीजन और ईंधन, चंद्रमा और मंगल अभ

2 hours ago 1

Last Updated:February 04, 2025, 08:01 IST

चीन के शोधकर्ताओं ने तियानगोंग स्पेस स्टेशन में ही सफल प्रयोग कर ऑक्सजीन और रॉकेट के ईंधन का बनाने में सफलता पाई है. उन्होंने इस प्रयोग में आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस तकनाक का इस्तेमाल किया. यह तकनीक 2030 तक चंद्...और पढ़ें

 चीन ने स्पेस स्टेशन में ही बनाए ऑक्सीजन और ईंधन, चंद्रमा और मंगल अभ

खास बात ये है कि चीन ने यह सफल प्रयोग स्पेस स्टेशन में किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

हाइलाइट्स

  • चीन ने स्पेस स्टेशन में ऑक्सीजन और ईंधन बनाने में सफलता पाई
  • आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस तकनीक का उपयोग किया गया
  • यह तकनीक 2030 तक चंद्रमा अभियानों में मददगार होगी

निया में अब स्पेस में जाना भले ही कठिन और महंगा हो, लेकिन कमाल नहीं रह गया है. अब कोशिशें स्पेस में लंबी दूरी तक अभियान तैयार करने की हो रही हैं. नासा सहित दुनिया के कई देशों की स्पेस एजेंसियां  ऐसे अभियानों को संभव बनाने के लिए भारी रिसर्च कर रही हैं. इसमें चीन भी पीछे नहीं है. लंबे अभियानों की कई चुनौतियों में से एक स्पेस में ईंधन और ऑक्सीजन पैदा करना है. पर चीन के शोनझोऊ-19 क्रू सदस्यों ने पहली बार तियानगोंग स्पेस स्टेशन में ही ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन की तत्वों को बनाने में सफलता हासिल की है. इसके लिए उन्होंने आर्टिफिशियल फोटो सिंथेसिस यानी कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण तकनीक का इस्तेमाल किया है.

स्पेस में किया सफल प्रयोग
पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद स्पेस स्टेशन में ही क्रू के सदस्यों ने इस तकनीक का प्रदर्शन किया जिसे भविष्य में लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए रास्ता खुल सकता है. इतना ही नहीं साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक यह तकनीक 2030 तक चीन के यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने में भी मददगार साबित हो सकती है.

ऑक्सीजन और हाइड्रोकार्बन बनाए
इस प्रयोग में क्रू के सदस्यों ने पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग एक ड्रॉअर के आकार के उपकरण में सेमीकंडक्टर कैटालिस्ट के साथ किया और ऑक्सीजन और हाइड्रोकार्बन ईंधन बना दिया. यह बिलकुल प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण जैसा ही था जिसका कि पेड़ पौधे इस्तेमाल करते हैं. दावा यह भी है कि इस तकनीक में बहुत कम ऊर्जा लगती है जिससे ये भावी स्पेस मिशन्स के लिए बहुत ही कारगर उपाय साबित हो सकता है.

Space missions, अंतरिक्ष अभियान, Space research, स्पेस रिसर्च, Artificial photosynthesis, कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण, Oxygen accumulation   successful  space, स्पेस में ऑक्सीजन उत्पादन

चीन की यह तकनीक स्पेस के लंबे अभियानों में रॉकेट ईंधन बनाने में काम आएगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

कठिन नहीं सरल हालात में मिले नतीजे
खास बात ये थी कि शोधकर्ताओं ने जिस हाइड्रोकार्बन को बनाया वह ईथायलीन था जिसे रॉकेट के ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रयोग पर सबसे पहले 2015 में विचार किया गया था. प्रयोग में कुछ खास पहलुओं का ध्यान रखा गया था. इनमे कार्बन डाइऑक्साइड को कमरे के तापमान में ही बदलना, गैस परिवाहन, माइक्रोग्रैविटी में ठोस, तरल एवं गैस की कई प्रतिक्रियाओं  और उत्पादों की वास्तविक समय में पहचान करना शामिल था.

अलग अलग उत्पाद भी
आर्टिफिशियल फोटो सिंथेसिस यानी कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण तकनीक ऊर्जा का खर्च काफी कम कर देती हैं क्योंकि वह कमरे के तापमान  और मानक वायुमंडलीय दबाव पर ही कारगर तरह से काम कर सकती हैं. वहीं कैटालिस्ट के उपयोग के जरिए इसे कई और उत्पादों, जसे कि मीथेन या ईथायलीन जैसे ईंधनों के उत्पादन के लिए भी तैयार किया जा सकता है.

Space missions, अंतरिक्ष अभियान, Space research, स्पेस रिसर्च, Artificial photosynthesis, कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण, Oxygen accumulation   successful  space, स्पेस में ऑक्सीजन उत्पादन

इस तकनीक का इस्तेमाल चीन अपने लूनार बेस स्टेशन में करेगा जिसे वह रूस के सहयोग से बनाएगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

बहुत काम की होगी तकनीक
चीन के आधिकारिक ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने बताया कि तकनीक कुदरती प्रकाश संश्लेषण की ही नकल है जिसमें हरे पौधे भौतिक और रासायनिक पद्धतियों का इस्तेमाल किया गया है. इसमें सीमित जगहों या बाहरी वायुमंडल के कार्बन डाइऑक्साइड संसाधनों का इस्तेमाल तक ऑक्सीजन और कार्बन आधारित ईंधन पैदा किया जा सकता है.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से हट कर
इस बात पर खास तौर से जोर दिया गया है कि यह बाहरी अंतरिक्ष में भावी अभियान और मानव के रहने  के लिए काम आने वाली सहयोगी तकनीक साबित होगी. इससे पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फोटोसिंथेसिस का उपयोग स्पेस में पौधों को ऊगाने, जैसा प्रयोगों में किया गया है. स्पेस स्टेशन में सौर पैनलों से पैदा हुई बिजली का उपयोग कर पानी को हाइड्रोजन औरऑक्सीजन में तोड़ने में होता है. इससे एस्ट्रोनॉट्स को सांस लेने वाली हवा भी मिल जाती है.

यह भी पढ़ें: जब कुत्ते बने पूरे देश के हीरो, बर्फीले तूफान में दवा पहुंचा कर बचाई हजारों की जान

चीन की 2030 तक चंद्रमा तक पहुंचने की योजना तो है ही, वजह 2035 तक चंद्रमा के साउथ पोल पर एक बेस भी बनाना चाहता है. यह तकनीक इन अभियानों में बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है. इससे वहां गए यात्रियों को वापसी के लिए ईंधन भी बनाया जा सकेगा. चीन यह बेस रूस के साथ मिलकर बनाएगा. दोनों देश मिलकर वहां केलिए एक छोटे से न्यूक्लियर रिएक्टर तैयार करने में भी लगे हैं.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

February 04, 2025, 08:01 IST

homeknowledge

Explainer: चीन ने स्पेस स्टेशन में ही बनाए ऑक्सीजन और ईंधन, चंद्रमा और मंगल अभ

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article