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Last Updated:February 04, 2025, 10:02 IST
Smart Farming Tips: अमरेली जिले के बाबरा तालुका के गलकोटड़ी गांव के युवा किसान राहुल हसुभाई बावा ने अपने ट्रैक्टर में GPS System लगाया है. इस सिस्टम की लागत चार लाख रुपये आई है. इस सिस्टम की वजह से खेती सीधी हो...और पढ़ें
अमरेली: हिंदी सिनेमा में एक फिल्म आई थी जिसका नाम टार्जन था. उसमें एक कार रात में बिना ड्राइवर के सड़कों पर दौड़ती थी और दुश्मनों को परेशान करती थी. ऐसा ही कुछ फिल्मी ड्रामा अब अमरेली जिले के खेतों में देखने को मिल रहा है. अमरेली जिले के बाबरा तालुका के गलकोटड़ी गांव में बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चलता है और खेत की जुताई करता है. यह ट्रैक्टर कोई भूत या आत्मा नहीं चला रहा है, बल्कि यह जर्मन तकनीक से चलता है. आइए जानते हैं…
क्या खेती आसान काम है? कई लोग इसका जवाब हां में देंगे, लेकिन खेती जितना कठिन काम कोई और नहीं है. खासकर किसी भी फसल की बुवाई करना एक चुनौतीपूर्ण काम है. वर्तमान समय में आधुनिक उपकरणों की वजह से कोई भी व्यक्ति बुवाई कर सकता है. लेकिन एक समय था जब बुवाई करना एक कला थी और गांव में बहुत कम किसानों को इसमें महारत हासिल थी, लेकिन समय बदलने के साथ सब कुछ बदल गया है. किसान अब ट्रैक्टर से बुवाई करने लगे हैं. ट्रैक्टर से बुवाई करना भी मुश्किल काम है क्योंकि बुवाई सीधी होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है. अमरेली जिले के युवा किसान राहुल अहीर ने अपने ट्रैक्टर में जीपीएस सिस्टम (GPS System) लगाया है. जिससे 50 प्रतिशत काम ड्राइवरलेस हो जाता है और बुवाई सीधी होती है. आइए जानते हैं…
जर्मन तकनीक का ट्रैक्टर में प्रयोग
अमरेली जिले के बाबरा तालुका के गलकोटड़ी गांव के युवा किसान राहुल हसुभाई बावा ने खेती में नया प्रयोग किया है. आधुनिक खेती में भी एक कदम आगे बढ़कर सोचा है. राहुल अहीर ने केवल दसवीं तक पढ़ाई की है और उनकी उम्र 31 साल है. वे अपनी 40 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं. खेती में ट्रैक्टर सहित आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं. आधुनिक उपकरणों से खेती आसान होती है, यह सही बात है, लेकिन बुवाई करना, क्यारी बनाना, फसल में अंतरखेत करना आदि कार्य मुश्किल होते हैं. सही देखभाल न करने पर फसल को नुकसान हो सकता है. खासकर बुवाई सीधी करना एक महत्वपूर्ण काम होता है क्योंकि आगे चलकर फसल में अंतरखेत (inter field) में फायदा होता है.
गलत बुवाई से फसल में 8 प्रतिशत तक का नुकसान होता है
किसान राहुल अहीर ने बताया कि बुआई और अंतरफसल का काम ट्रैक्टर से किया जाता है, लेकिन ड्राइवर को एक साथ स्टीयरिंग और हाइड्रोलिक का एक साथ उपयोग करना पड़ता है. साथ ही बुवाई या खेती एक सीधी लाइन में होनी चाहिए. इसमें समय और शक्ति का बहुत उपयोग होता है. बुवाई में बुवाई सीधी होना बहुत जरूरी होता है. त्रुटिपूर्ण या टेढ़ी-मेढ़ी बुवाई के कारण अंतरखेत में फसल कट जाती है और फसल का नुकसान होता है. पांच से आठ प्रतिशत फसल खराब हो जाती है. इसके विकल्प के लिए फोन में सर्च किया और ट्रैक्टर में जीपीएस सिस्टम का आइडिया मिला. जिससे 50 प्रतिशत काम ड्राइवरलेस हो जाता है और बुवाई भी सीधी होती है.
इस सिस्टम पर चार लाख का खर्च हुआ
युवा किसान ने आगे बताया कि सीजन में बुवाई, कटाई के समय अच्छे ड्राइवर नहीं मिलते. अच्छे ड्राइवर मिलते हैं तो 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये एक दिन की मजदूरी लेते हैं. जीपीएस सिस्टम की वजह से अब किराया नहीं देना पड़ेगा. अब ट्रैक्टर चलाने वाला कोई भी व्यक्ति आराम से बुवाई कर सकता है. इस ट्रैक्टर में दो जीपीएस सिस्टम सेट किए गए हैं. स्टीयरिंग जीपीएस सिस्टम के आधार पर ऑटोमैटिक फिट किया गया है और इस पर चार लाख का खर्च किया गया है. 12 घंटे का काम 8 से 10 घंटे में हो जाता है. यह जर्मन तकनीक है.
शारीरिक और मानसिक थकान नहीं होती
गांधीनगर में स्थित मोबाइल ऑटोमेशन कंपनी में काम करने वाले इंजीनियर आकाश प्रजापति ने बताया कि यह कंपनी ऑटोमैटिक सिस्टम ट्रैक्टर में फिट करती है, जिससे किसानों को काम में आसानी होती है और शारीरिक और मानसिक थकान नहीं होती. किसान खेती में आधुनिक तकनीक अपना रहे हैं और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं. तकनीक के साथ किसान खेती कर रहे हैं. अब किसान ट्रैक्टर में जीपीएस सिस्टम लगा रहे हैं.
समय और डीजल की बचत होती है
जीपीएस सिस्टम क्या है? इस बारे में आकाश प्रजापति ने कहा कि वर्तमान समय में ज्यादातर किसान बुवाई के समय बुवाई, फसल में अंतरखेत ट्रैक्टर के स्टीयरिंग पर काबू रखकर सीधी लाइन में बुवाई या खेती करते हैं और काम थोड़ा मुश्किल होता है. बुवाई करते समय एक बुवाई दबाकर दो बुवाई में खेती या बुवाई करते हैं. जिससे किसानों को अधिक समय लगता है. साथ ही डीजल का खर्च भी अधिक होता है. इस सिस्टम से समय और डीजल के खर्च में कमी आती है. जिससे यह सिस्टम बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रही है.
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आकाश प्रजापति ने आगे बताया कि यह सिस्टम एक जीपीएस आधारित सिस्टम है, जिसमें एक मॉनिटर के अंदर 30 की जाली में बुवाई करने का चयन किया जाता है तो 30 की जाली में ही बुवाई होती है और ट्रैक्टर पर विशेष उपकरण ऑटोमैटिक (special instrumentality automatic) लगाए जाते हैं, जिससे किसान के लिए यह सिस्टम बहुत फायदेमंद है. किसान को सीधी लाइन में बुवाई करने के लिए यह ऑटोमैटिक सिस्टम काम करता है. सिस्टम ट्रैक्टर के स्टीयरिंग पर काबू रखता है और संचालन करता है. ट्रैक्टर चलाने वाले व्यक्ति को केवल खेत के किनारों पर ट्रैक्टर को मोड़ना और वापस लाना होता है.
First Published :
February 04, 2025, 10:02 IST
बिना ड्राइवर के खेत में दौड़ता ट्रैक्टर! बिना हाथ लगाए सीधी बुवाई, लेकिन कैसे?