Explainer: ब्रह्माण्ड की शुरुआत में ही इतनी तेजी से कैसे बन गए विशाल ब्लैक होल

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भौतिक विज्ञान के लिए ब्लैक होल से ज्यादा रहस्यमयी शायद ही कुछ हों. इनके जरिये विज्ञान के कई राज खुले हैं तो कई पहेलियां अब भी सुलझने का इंतजार कर रही हैं. पर कई ब्लैक होल ऐसे भी हैं जो हमारी उस जानकारी को चुनौती देते हैं जो उनके बारे में हमने अब तक हासिल की है.  दशकों के खगोलीय निगरानी के बाद हमारे वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एक ब्लैक होल के बनने में बहुत ही ज्यादा समय लगता है. अगर यह ब्लैक होल आकार में बहुत अधिक बड़ा हो, जिसे हम सुपरमासिव ब्लैक होल कहते हैं, तो इसके बनने में कई अरब साल का वक्त लगता है.  लेकिन नए अध्ययन में ब्रह्माण्ड के शुरुआती ब्लैक होल के जल्दी बनने के रहस्य खुलने का दावा किया गया है.

केवल एक अरब साल में कैसे इतने विकसित हो गए?
एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित अध्ययन इसी सवाल पर विचार करता है कि आखिर सूर्य से अरबों गुना भारी ये सुपरमासिव ब्लैक होल बिग बैंग के बाद एक ही अरब साल की छोटी सी अवधि में इतनी तेजी से कैसे बन गए.  नेनल इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स (INAF) के शोधकर्ताओं ने इस तरह के 21 ब्लैक होलों का विश्लेषण किया जो इतनी जल्दी क्वेजार में बदल गए थे. ये अब तक के खोजे गए सबसे दूर स्थित ब्लैक होल हैं.

क्वेजार कैसे बने ब्लैक होल?
अध्ययन के नतीजे सुझाते हैं कि इन क्वेजार के केंद्र में मौजूद ब्लैक होल, जो ब्रह्माण्ड की सुबह सुबह के वक्त बने थे, बहुत ही तेजी से बने थे, बढ़े थे जिससे वे इतने कम समय में इतना ज्यादा विस्तार ले कर इस आकार में पहुंच गए. क्वेजार एक सुपरमासिव ब्लैक से बड़ा पिंड होता है जो वास्तव में एक चमकीली सक्रिय गैलैक्सी होते हैं जिन्हें उनके केंद्र से सुपरमासिव ब्लैक होल की ताकत मिलती है. इन्हें एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई (AGN) भी कहा जाता है.

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अभी तक हमें यही पता था क बिग बैंग के तुंरत बाद ब्लैक होल इतनी तेजी से नहीं पनप सकते. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

खास तरह के क्वेजार का अध्ययन
ये ब्लैक होल पदार्थ खींचने के साथ ही बहुत ही अधिक मात्रा में ऊर्जा निकालकर फेंकते हैं जिससे वे ब्रह्माण्ड के सबसे दूर के पिंड होने के साथ ब्रह्माण्ड के सबसे चकमीले पिंड बन जाते हैं. इस रिसर्च में उन्हीं क्वेजार को अध्ययन किया गया था जो ब्रह्माण्ड के बनने के एक अरब साल के समय में थे. वे अब तक के अवलोकित किए गए ब्रह्माण्ड के सबसे पुरानी खगोलीय संरचना हैं.

एक्स रे और पदार्थ की हवा की रफ्तार
इन पिंडों से निकलने वाले एक्सरे विकिरण के विश्लेषण से खुलासा हुआ कि उनके केंद्र का  बर्ताव कुछ असामान्य था. निकलने वाले एक्स रे विकिरण के आकार और क्वेजार से निकलने वाली पदार्थ की हवा की रफ्तार का गहरा संबंध था. ब्लैक होल की सीमा के पास की गैस के तापमान से था जो वहां एक्रीशन डिस्क की प्रक्रिया से सीधे तौर पर जुड़ा था.

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पाया गया कि ब्लैक होल की एक्रीशन डिस्क ही बहुत तेजी से पनपी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: NASA)

दोनों का एक्रीशन डिस्क में जमा होने वाले पदार्थ से संबंध
यानी जिन क्वेजार में कम ऊर्जा की एक्स रे निकल रही थीं, उनके हवा तेज चल रही थी.  इससे जाहिर हुई कि पदार्थ तेजी से इस सीमा पर जमा हो रहा था. इसी सीमा को एक्रीशन डिस्क कहते हैं.  इस पर पदार्थ के जमा होने की दर की सीमा जिसे एडिंगटन लिमिट कहते हैं बहुत ज्यादा हो गई और सुपर एडिंगटन के दौर में हो गया था.

तेजी से भार बढ़ाते चले गए क्वेजार
रोम में INAF  के शोधकर्ता और अध्ययन की मुख्य लेखिका एलिसा टोरटोसा ने बताया कि उनका काम सुझाता है पहले एक अरब साल के समय में शुरुआती क्वेजार ने तेजी से अपना भार बढ़ाया था. और एक्स  के उत्सर्जन और हवाओं के संबंध ने इसका कारण बताया है जिससे आज की एस्ट्रोफिजिक्स के सबसे बड़े रहस्य को सुलझाने का ठोस सुराग दिया है.

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शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन भविष्य के एक्स रे अभियानों के लिए जरूरी दिशा देने का काम करेगा. ये नतीजे अगले दशक में किए जाने वाले अवलोकनों के लिए भूमिका बनाने का काम करेंगे.

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FIRST PUBLISHED :

November 25, 2024, 08:01 IST

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