जितिया व्रत
शुभम मरमट / उज्जैन: हिंदू धर्म में हर तिथि और व्रत का अपना विशेष महत्व होता है और उनमें से एक प्रमुख व्रत है जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत. माताएं इस विशेष व्रत को अपनी संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए करती हैं. हर साल ये व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इसे जिउतिया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन, माताएं निर्जला व्रत रखकर अगली सुबह पारण करती हैं. आइए, उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानें इस व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त.
कब है जीवित्पुत्रिका व्रत?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:38 बजे प्रारंभ होगी और 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12:10 बजे समाप्त होगी. इसलिए, उदया तिथि के अनुसार ये व्रत 25 सितंबर 2024 को रखा जाएगा.
जितिया व्रत की पूजा विधि
हर व्रत की एक विशेष विधि होती है. जितिया व्रत के लिए, सुबह उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है. फिर, घर के मंदिर में एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाया जाता है. उसके ऊपर एक थाली रखकर, उसमें सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित की जाती है. उन्हें दूध से स्नान कराकर, दीपक और धूप अर्पित किया जाता है. इसके बाद, मिट्टी या गाय के गोबर से सियार और चील की मूर्ति बनाई जाती है और कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा की पूजा की जाती है. उन्हें धूप, दीप, फूल और चावल अर्पित किया जाता है.
जितिया व्रत के लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत करने से संतान की सुरक्षा होती है और उनका जीवन सुखमय होता है. माताएं इस पूजा के बाद अपने बेटे और बेटी के सुखद भविष्य की कामना करती हैं, जिससे ये व्रत और भी महत्वपूर्ण बन जाता है. जितिया व्रत एक ऐसा अवसर है, जो माताओं की संतान के प्रति अटूट प्रेम और संजीवनी शक्ति का प्रतीक है.
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FIRST PUBLISHED :
September 24, 2024, 14:02 IST
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