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हर माह 2 प्रदोष व्रत आते हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में, प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर आयोजित किया जाता है। कहा जाता है कि यह तिथि भगवान शिव को अति प्रिय है। इस दिन भगवान शंकर मृत्युलोक यानी पृथ्वी पर रहने वाले अपने भक्तों पर ध्यान देते हैं। इस कारण यह दिन और तिथि बेहद खास माने जाते हैं। त्रयोदशी तिथि की शाम को ही प्रदोष काल कहा जाता है, इसी कारण यह प्रदोष व्रत कहलाता है। आइए जानते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए क्या-क्या उपाय किए जाने चाहिए...
कब है प्रदोष व्रत?
माघ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी की शाम 07.25 बजे लग रही है, जो 10 फरवरी की शाम 06.57 बजे खत्म होगी। चूंकि इस तिथि की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में 9 फरवरी को प्रदोष व्रत का आयोजन होगा।
प्रदोष व्रत का क्या है महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है, कुछ लोग यह व्रत निर्जल यानी बिना जल पिए करते हैं। पौराणिक कथा में कहा गया कि एक बार चंद्रमा को क्षय रोग हो गया, जिस कारण उन्हें मृत्यु बराबर पीड़ा हो रही थी। इसके बाद भगवान शिव ने उस दोष से उन्हें छुटकारा दिलाया और त्रयोदशी के दिन उन्हें पुन:जीवन दिया, इस कारण इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
इस दिन क्या करने चाहिए उपाय?
- प्रदोष व्रत की विशेष पूजा शाम को की जाती है, इसलिए जातक को शाम में सूर्य डुबने से पहले एक बार और स्नान करना चाहिए।
- इस दिन कोशिश करें कि सफेद वस्त्र पहन कर पूर्व दिशा में मुंह कर पूजा करें।
- पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल या दूध से स्नान कराएं। साथ ही पंचाक्षरी मंत्र जपें। ऐसा करने से भोलेनाथ सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।
- इसके बाद शिवलिंग पर पीले चंदन या भस्म से त्रिपुंड बनाएं। साथ ही बेलपत्र पर शहद लगाकर दाहिने हाथ से भगवान को अर्पित करें। इससे भगवान खुश होकर सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं।
- इस दिन भगवान शिव को पंचामृत से स्नान जरूर कराएं, और माता पार्वती को 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें। माना जाता है कि इससे अविवाहितों के विवाह के योग बनते हैं और शादीशुदा जातकों के जीवन में खुशहाली आती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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