Last Updated:February 06, 2025, 14:25 IST
Agriculture News: बिहार के गया जिले के रहने वाले प्रभात ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग करने के बाद 30 देश का भ्रमण किया. इसके बाद गया में मशरूम उत्पादन शुरू किया. प्रभात का सालाना कमाई 3 ...और पढ़ें
प्रभात जब कई देश का भ्रमण कर वापस लौटे तो गया को ही अपनी कर्मस्थली बनाया.
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की फिर विदेश भ्रमण पर निकले. यूएस, इंग्लैंड, स्वीटजरलैंड, दक्षिण कोरिया समेत तकरीबन 30 देश का भ्रमण किया. लेकिन आखिरकार बिहार की मिट्टी ही भायी. बिहार की मिट्टी से जुड़े तो धीरे-धीरे हजारों किसानों से जुड़ते चले गए और कृषि के क्षेत्र में बड़े कैरियर को हासिल कर लिया. यह कहानी है. इलेक्ट्रिकल इंजीनियर से किसान बने गया जिले के कोंच प्रखंड के बड़गांव के रहने वाले प्रभात कुमार की.
प्रभात जब कई देश का भ्रमण कर वापस लौटे तो गया को ही अपनी कर्मस्थली बनाया. पिता और दादा खेती की ओर ध्यान न देकर नौकरी करने के लिए प्रेरित करते थे. लेकिन उन्होंने ऐसी तकनीक इजाद की थी कि खेती किसानी को भी फायदे का धंधा बनाया जा सकता है. बिहार में प्रभात आज मशरूम के बड़े उत्पादकों में गिने जाते हैं. वहीं, कृषि की इंजीनियरिंग ऐसी कि इन्होंने तकरीबन 25000 किसानों को जोड़कर उनकी आय दुगनी करने में मदद की. प्रभात कुमार किसानों को स्वावलंबी बनाने में हर तरह की मदद करते हैं.
30 देश घुमने के बाद लौटे गांव
आज बिहार में मशरूम उत्पादन का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट इनके पास है, जिससे 10 हजार किलोग्राम तक मशरूम का प्रोसेसिंग प्रतिदिन किया जा सकता है. प्रभात कुमार लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि पहले लोग मशरूम के बारे में जानते नहीं थे. कैसे मार्केटिंग प्रोसेसिंग होगी यह इश्यू था. छोटा स्तर पर इसकी शुरुआत किया. आज मशरूम के मामले में बिहार काफी आगे चला आया है. 8 साल पहले जब हमने मशरूम की खेती की शुरुआत की थी. दिल्ली से उन दिनो प्रतिदिन 500 किलोग्राम मशरूम गया आता था. आज बंगाल, रांची, झारखंड में बिहार से मशरूम जा रहा है. बिहार देश का नंबर वन मशरूम उत्पादक है. आज बिहार का जो करोड़ों रुपया बाहर जाता था, वह बिहार आ रहा है.
प्रतिदिन 10000 किलोग्राम किया जाता है प्रोसेसिंग
प्रभात कुमार अकेले मशरूम का करीब 3 करोड़ का टर्नओवर सालाना करते हैं. इनके साथ 25000 किसान जुड़े हैं. प्रभात कुमार के मुताबिक बड़गांव में बिहार का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट है, जिससे प्रतिदिन 10000 किलोग्राम तक मशरूम का प्रोसेसिंग किया जा सकता है. यहां मशरूम को केन में पैकेज किया जाता है. इन्होने केवाल नाम से ब्रांड स्थापित किया है और अमेजन समेत कई आनलाइन एप पर इनके प्रोडक्ट की मार्केटिंग हो रही है.
First Published :
February 06, 2025, 14:25 IST
यह कहानी है, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर से किसान बने गया जिले के कोंच प्रखंड के बड़गांव के रहने वाले प्रभात कुमार की.<br><br>