Study: स्कूली बच्चों का गजब हाल! 9वीं में ले रहे हैं 12वीं जितनी टेंशन

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Last Updated:February 05, 2025, 18:19 IST

Exam Stress, Lucknow University: लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने स्कूली बच्चों पर एक स्टडी की है. इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इन दिनों क्लास 9 के स्टूडेंट्स इस उम्र से ही 12वीं के स्टूडेंट्स जितना स्ट...और पढ़ें

 स्कूली बच्चों का गजब हाल! 9वीं में ले रहे हैं 12वीं जितनी टेंशन

Lucknow University Research: स्कूली बच्चों में स्ट्रेस का लेवल बढ़ता जा रहा है

हाइलाइट्स

  • लखनऊ यूनिवर्सिटी की रिसर्च में 9वीं के बच्चों में 12वीं जितना स्ट्रेस पाया गया.
  • जेईई और नीट की तैयारी से बच्चों का स्ट्रेस लेवल बढ़ रहा है.
  • 884 स्टूडेंट्स पर की गई रिसर्च में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

नई दिल्ली (Exam Stress, Lucknow University). बीते कुछ सालों में पढ़ाई के पैटर्न में काफी फर्क आया है. नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने से एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव आया है. लेकिन इसके बावजूद स्कूली बच्चों का स्ट्रेस डबल होता जा रहा है. लखनऊ यूनिवर्सिटी में जूलॉजी विभाग की प्रो. शैली मलिक ने उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (UPCST) के प्रोजेक्ट के तहत स्कूली बच्चों पर एक रिसर्च की है. उसी में बच्चों के एग्जाम स्ट्रेस से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

रिसर्च में पता चला है कि स्टूडेंट्स जिस लेवल का स्ट्रेस पहले कक्षा 12वीं में महसूस करते थे, अब उसे कक्षा 9वीं में ही महसूस करने लगे हैं. स्कूल स्टूडेंट्स में स्ट्रेस लेवल का पता लगाने के लिए कॉर्टिसोल हॉर्मोन और नींद के लिए मेलाटोनिन हॉर्मोन की जांच की गई थी. इसमें पता चला कि 9वीं और 12वीं में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स में दोनों हॉर्मोन्स का स्तर लगभग बराबर था. लखनऊ यूनिवर्सिटी की यह रिसर्च रिपोर्ट इंडियन जर्नल ऑफ सायकाइट्री में भी पब्लिश हुई है.

Education News: रिसर्च में शामिल हुए 800 से ज्यादा बच्चे
जूलॉजी विभाग की प्रो. शैली मलिक के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कई स्कूलों में 13 से 19 साल तक के 884 स्टूडेंट्स से कुछ सवाल पूछे गए, जैसे कि वे कब सोते हैं, कब जागते हैं, किस समय ज्यादा एक्टिव रहते हैं आदि. इसके बाद उनके सलाइवा से मेलाटोनिन और कॉर्टिसोल हॉर्मोन की जांच की गई. इसमें 9वीं और 12वीं के बच्चों में स्ट्रेस का लेवल बराबर निकला. प्रोफेसर की मानें तो कम उम्र से जेईई (JEE) और नीट (NEET) जैसी परीक्षाओं की तैयारी करवाने की वजह से ऐसा हो रहा है.

रिसर्च के लिए 2 बार हुई जांच
2023 से 2024 के बीच इन 884 स्टूडेंट्स की 2 बार जांच की गई थी- एक बार परीक्षा के समय और फिर पढ़ाई के सामान्य दिनों में. ज्यादातर बच्चों में एग्जाम्स के दौरान स्ट्रेस का स्तर बढ़ा हुआ मिला था. शोध में सामने आया कि सिर्फ 40% बच्चे ही नियमित तौर पर सुबह जल्दी उठते हैं और उनकी दिनचर्या भी नियमित रहती है. वहीं, 10% बच्चे रात में देर तक एक्टिव रहते हैं. दिन में इनका मेलाटोनिन हाई और कॉर्टिसोल लो रहने से इन्हें स्कूल में नींद आती है. सामान्य बच्चों में यह पैटर्न उल्टा होता है.

पेरेंट्स के लिए खतरे की घड़ी
क्लास 6 या 9 से बच्चों को जेईई, नीट की तैयारी में लगाने से उनकी परेशानी बढ़ जाती है. हर स्टूडेंट का मेंटल लेवल एक सा नहीं होता है. अगर एक बच्चा स्कूल और जेईई, नीट परीक्षा की पढ़ाई के बीच बैलेंस बना पा रहा है तो उसका प्रेशर उस बच्चे पर नहीं डालना चाहिए, जिसके लिए यह मुमकिन नहीं है. अपने बच्चे को समझें और उसके साथ दोस्ताना व्यवहार रखें. साथ ही उन्हें घर का बना हुआ पौष्टिक खाना खिलाएं. फास्ट फूड या अक्सर बाहर का खाना खाने से भी स्ट्रेस लेवल बढ़ता है.

First Published :

February 05, 2025, 18:16 IST

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