Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 03, 2025, 10:34 IST
अलीगढ़ के रहने वाले बाबू खान बचपन से ही भगवान शिव में आस्था थी और उनकी पूजा करते थे. इसलिए, अपनी सारी जमा-पूंजी लगाकर मंदिर का निर्माण करवाया.
यह मुस्लिम परिवार मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी,पिता ने बनवाया था शिव मंदिर
अलीगढ़: जिस दौर में आस्थाएं अलगाव की दीवार खड़ी कर रही हों, दो इनसानों के बीच दूरी बढ़ाने के काम आ रही हों, ऐसे समय में अलीगढ़ के बाबू खान को याद किया जाना बेहद जरूरी लगता है. बता दें कि अलीगढ़ के बाबू खान अपने जीते जी प्रेम और सौहार्द की किंवदंती बन चुके थे. भाईचारे और एकजुटता के प्रेरणास्रोत बन चुके थे.
बनवाया था शिव मंदिर
आज बाबू खान का शरीर इस दुनिया में भले न हो, लेकिन कौमी एकता की वह इमारत आज भी पूरी बुलंदी के साथ खड़ी है और लोग इस इमारत के बहाने ही सही आज भी बाबू खान को शिद्दत से याद करते हैं. बता दें कि अलीगढ़ के बाबू खान ने अपने गांव से बाहर 2013 में एक शिव मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर की देखभाव वे खुद ही किया करते थे. लिहाजा दूर-दूर से आने वाले लोग आज भी जब भगवान शिव के दर्शन करते हैं, तो बाबू खान की तारीफ़ करना भी नहीं भूलते.
भगवान शिव के भक्त थे बाबू खान
अलीगढ़ से करीब 7 किमी दूर जवा थाना क्षेत्र के गांव मिर्जापुर सिया के प्रधान पति बाबू खान बचपन से भगवान शिव की पूजा करते आ रहे थे. एक दिन उनके मन में मंदिर बनवाने का विचार आया और 17-07-2013 की तारीख को बाबू खान ने अपनी आधी पूंजी लगाकर और बाकी आस-पास के लोगों के सहयोग से शिव मंदिर का निर्माण करवा दिया. इसके लिए गांव मिर्जापुर के पास बनी सीडीएफ पुलिस चौकी के पास की जगह को चुना गया था. मंदिर की सफाई के बाद मूर्तियों पर प्रतिदिन जल चढ़ाना बाबू खान की दिन चर्या में शामिल था. वैसे बाबू खान के परिवार में उनकी प्रधान पत्नी शमा परवीन और 5 बच्चे हैं.
पूरा परिवार मंदिर के कामों में करता है सहयोग
बाबू खान के बेटे मोहम्मद शोएब ने बताया कि पिताजी बताया करते थे कि उनके पिताजी और दादा भी भगवान शिव की पूजा-आराधना करते थे. उनको देखते-देखते ही पिताजी भी बचपन से ही पूजा-पाठ करने लगे. गांव के आस-पास कोई मंदिर नहीं था. गांव के लोगों को पूजा के लिए काफी दूर जाना पड़ता था. इसी वजह से उन्हें मंदिर निर्माण का ख्याल आया. मंदिर की स्थापना प्रयागराज से आए पंडित विशाल पांडेय जी ने की थी.
सराहनीय काम के लिए हुए सम्मानित
पिताजी को 2013 में अलीगढ़ जिलाधिकारी ने राम-रहीम और गंगा-जमुनी तहजीब अवॉर्ड से सम्मानित भी किया था. मेरे परिवार में सिर्फ मेरे पिता बाबू खान ही मंदिर में पूजा करने के लिए जाते थे. लेकिन अब पूरा परिवार मंदिर के कामों में सहयोग करता है. मैं भी सभी धर्मों को मानता हूं. मंदिर भी जाता हूं-मस्जिद भी जाता हूं. दीपावली और ईद दोनों मनाता हूं. मेरा मानना है कि धर्म को लेकर कभी राजनीति नहीं करनी चाहिए.
Location :
Aligarh,Aligarh,Uttar Pradesh
First Published :
February 03, 2025, 10:34 IST
अलीगढ़ का यह मुस्लिम परिवार मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी,पिता ने बनवाया था शिव मंदिर