कोडरमा. आधुनिकता के इस दौर में जहां बिजली एक मूलभूत सुविधा बन गई है और अधिकांश काम बिजली पर निर्भर हैं, वहीं आज़ादी के 77 वर्षों बाद भी कोडरमा में कुछ ऐसे गांव हैं, जहां लोगों ने अब तक बल्ब की रोशनी नहीं देखी है. इन गांवों के लोग अब भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं. हालांकि, पीएम जन मन योजना के तहत जिले के चार गांवों को अब रौशन किया जाएगा. इसके साथ ही, ग्रामीणों को मोबाइल चार्जिंग और पंखा चलाने जैसी सुविधाएं गांव में ही उपलब्ध होंगी.
वन विभाग की सख्ती से विद्युत सुविधा नहीं हो सकी बहाल
कोडरमा जिले के चार गांव नलवा, कोवाबार गझंडी, बिरहोर टोला फुलवरिया, और झरनाकुंड में आदिवासी परिवार निवास करते हैं. इन गांवों तक पहुंचने का रास्ता वन क्षेत्र से होकर गुजरता है. वन्य प्राणियों की सुरक्षा के मद्देनज़र वन विभाग के सख्त नियमों के कारण विद्युत विभाग के कई प्रयासों के बावजूद इस क्षेत्र में बिजली के तार ले जाने की अनुमति अब तक नहीं मिल सकी.
कुछ वर्ष पहले राजीव गांधी विद्युत परियोजना के तहत इन गांवों में विद्युत सुविधा बहाल करने के लिए ट्रांसफार्मर पहुंचाया गया था. कई इलाकों में पोल गाड़कर तार भी बिछाए गए, लेकिन 11,000 वोल्ट की विद्युत लाइन के लिए वन क्षेत्र के बीच से तार ले जाने की अनुमति वन विभाग ने नहीं दी.
4 गांवों में लगेंगे 143 सोलर सिस्टम सेट
कमज़ोर जनजातीय समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान की शुरुआत की है. परियोजना अभियंता अंशु कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत नलवा के 7, कोवाबार गझंडी के 12, बिरहोर टोला फुलवरिया के 108 और झरनाकुंड के 16 घरों में सोलर सिस्टम लगाए जाएंगे.
सोलर सिस्टम में प्रत्येक सेट में 300 वॉट पावर का एक सोलर पैनल, लिथियम फेरो फॉस्फेट बैटरी, 5 एलईडी बल्ब, एक पंखा, एक चार्जिंग कंट्रोलर, और एक मोबाइल चार्जिंग पोर्ट शामिल होगा. इस योजना के लागू होने से इन गांवों के लोग पहली बार बिजली की रोशनी का अनुभव करेंगे और आधुनिक सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.
Edited By- Anand Pandey
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 20:54 IST