आज माघ पूर्णिमा की रात आसमान से होगी अमृत बरसा!, जानें आध्यात्मिक महत्व

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Last Updated:February 12, 2025, 08:45 IST

Magh Purnima 2025 : माघ मास की पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जो हमें अपने जीवन में शुद्धता, पुण्य और आस्था को महत्व देने की प्रेरणा देती है. यह दिन न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह...और पढ़ें

आज माघ पूर्णिमा की रात आसमान से होगी अमृत बरसा!, जानें आध्यात्मिक महत्व

माघ पूर्णिमा 2025

हाइलाइट्स

  • माघ पूर्णिमा सनातन धर्म में महत्वपूर्ण तिथि है.
  • इस दिन नदियों में स्नान और दान का महत्व है.
  • माघ पूर्णिमा को मोक्षदायिनी तिथि माना जाता है.

Magh Purnima 2025 : माघ मास की पूर्णिमा सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. यह दिन विशेष रूप से मोक्षप्रद और पुण्यदायिनी है, जो न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक लाभ का कारण बनता है, बल्कि यह प्राकृतिक शुद्धता का भी प्रतीक है. माघ मास की पूर्णिमा का महत्व स्कंद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसी प्रमुख धार्मिक पुस्तकों में विस्तार से वर्णिन किया गया है. यह दिन विशेष रूप से नदियों में स्नान और दान का महत्व रखता है, जो व्यक्ति के जीवन को शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति कराता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से आज के दिन का महत्व.

माघ मास की पूर्णिमा तिथि का महत्व
माघ मास की पूर्णिमा, सनातन धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाई जाती है. इस दिन को लेकर न केवल पौराणिक कथाएँ बल्कि धार्मिक ग्रंथों में भी विशेष उल्लेख मिलता है. यह दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होता है और इस दिन विशेष रूप से गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व बताया जाता है. साथ ही, इस दिन व्रत, दान और पूजा करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है.

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माघ मास की पूर्णिमा का महत्व अन्य पूर्णिमाओं से कहीं अधिक माना जाता है. पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि इस दिन चंद्रमा अपनी अपूर्व छटा के साथ अमृत वर्षा करता है, जिससे जल को शुद्ध और अमृतमयी बना देता है. इस दिन पवित्र नदियों के तट पर स्नान करने से शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि होती है. यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु इस दिन नदियों के तट पर स्नान करने आते हैं, विशेष रूप से कुंभ मेले के दौरान यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है.

माघ पूर्णिमा और मोक्ष की प्राप्ति
माघ मास की पूर्णिमा को मोक्षदायिनी तिथि माना जाता है. धार्मिक दृष्टिकोण से, यह तिथि विशेष रूप से पुण्य की प्राप्ति और पापों से मुक्ति के लिए अत्यधिक फलदायक मानी जाती है. इस दिन यदि व्यक्ति नदियों में स्नान करता है और यथाशक्ति दान करता है, तो उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है. सनातन धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन किया गया पुण्य कार्य जीवन के समस्त संकटों को दूर करता है.

विधिवत पूजा और व्रत
इस दिन का महत्व न सिर्फ स्नान तक सीमित है, बल्कि इसे एक विशेष पूजा और व्रत के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन चंद्रमा की पूजा अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है. आयुर्वेद के अनुसार, चंद्रमा के प्रकाश में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो जीवन शक्ति को सशक्त बनाते हैं. इसलिए इस दिन चंद्र के प्रकाश से आने वाली किरणों में औषधियों का अमृतमयी गुण खीर में आ जाता है, जिससे जीवनी शक्ति मजबूत होती है. रात्रि के समय घी के दीपक जलाकर घर के विभिन्न स्थानों पर पूजा करना शुभ माना जाता है.

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पौराणिक कथा और उसका महत्व
माघ मास की पूर्णिमा से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जो इस दिन के महत्व को और भी स्पष्ट करती है. कथा के अनुसार, राजा दिलीप ने अपने राज्य में माघ मास के दौरान स्नान, व्रत और दान की परंपरा शुरू की थी. उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब तक उनके राज्य में सभी लोग पुण्य कार्य नहीं करेंगे, वे स्वयं भोजन नहीं करेंगे. उनकी भक्ति और निष्ठा से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके राज्य में सुख-समृद्धि का वास हुआ.

First Published :

February 12, 2025, 08:45 IST

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