फोटो : गुग्गुल
जैसलमेरः जैसलमेर के रामदेवरा में इन दिनों बाबा रामदेव का मेला चल रहा है और इस मेले में सबसे अधिक दुकानें जो आपका ध्यान खींचती नजर आएंगी वो है गुग्गुल धूप की दुकानें हैं. जैसलमेर, पोकरण और रामदेवरा के बाजार इन दिनों इस धूप की खुशबू से महक रहे हैं तो वहीं बाहर से आने वाले बाबा रामदेव के भक्त इन दुकानों पर कतार में खड़े नजर आ रहे हैं.
दरअसल, पश्चिम राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर के गावों में गुग्गुल नाम का एक पेड़ होता है जिसके तने से निकलने वाले उत्सर्जी पदार्थ (एक तरह का गोंद) की खुशबू मीठी महक लिए होती है. अग्नि में डालने पर यह वातावरण को सुगंधित कर देती है. इसलिए इसका उपयोग धूप के लिए किया जाता है. भारत में इसकी डिमांड ज्यादा है और उत्पादन कम. जैसलमेर और बाड़मेर इसके उत्पादन के बड़े क्षेत्र माने जाते हैं. इसलिए जैसलमेर में बाबा रामदेव मेले के दौरान इसकी मांग बढ़ जाती है.
करीब 7 करोड़ रुपए का धूप बिकता है
जैसलमेर के पोकरण में पिछले 30 सालों से गुग्गुल का व्यापार कर रहे 60 वर्षीय मनु राठी बताते है कि जैसलमेर जिले में बाबा रामदेव मेले सहित साल भर में करीब 7 करोड़ रुपए का धूप बिकता है. जिसमें करीब 4 करोड़ रुपए का धूप सिर्फ बाबा रामदेव मेले के दौरान एक महीने में ही बिकता है. आगे वे बताते है कि गुग्गुल का इस्तेमाल धूप के अलावा कई आयुर्वेदिक दवाइयों को भी बनाने में होता है. इसलिए लोग इसे दवाई बनाने के लिए भी लेकर जाते हैं.
गुग्गुल की कीमत 2000 रुपए प्रति किलो
मनु राठी का कहना है कि जैसलमेर और बाड़मेर में होने वाला गुग्गुल शुद्ध होता है. इसकी विश्वसनीयता ज्यादा होती है. इसलिए इसकी कीमत भी बाकी जगहों पर मिलने वाले गुग्गुल की तुलना में ज्यादा होती है. उनका कहना है कि अभी जैसलमेर-बाड़मेर गुग्गुल की कीमत 2000 रुपए प्रति किलो है. आपको बता दें कि गुग्गुल सिर्फ वर्षा ऋतु में ही होता है, शेष मौसम में इसके पत्ते झड़ जाते हैं और इसकी वृद्धि नही होती है. जैसलमेर-बाड़मेर का गुग्गुल हल्का लाल रंग का होता है और महक प्राकृतिक मीठी होती है. गुग्गुल का उपयोग आयुर्वेद के अनुसार कफ, बात, कास, कृमि,आदि बीमारियों के उपचार हेतु किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 24, 2024, 14:02 IST