Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 07, 2025, 15:04 IST
Ballia News: उत्तर प्रदेश के बलिया में एक पीपल का पेड़ सालों से लोगों की जान बचा रहा है. लोगों ने इस पेड़ से जुड़ी एक कहावत तक बना दी है.
खैरा पीपल कबो न डोले
हाइलाइट्स
- बलिया के खैराडीह में पीपल का पेड़ 25 हजार लोगों की जान बचा रहा है.
- यह पीपल का पेड़ हजारों साल पुराना और प्राकृतिक आपदाओं से अडिग है.
- पेड़ की जड़ें बाढ़ के पानी को डाइवर्ट कर गांव को बचाती हैं.
Ballia News: पीपल के पेड़ के फायदे बताते हुए लोगों को देखा होगा. लेकिन बलिया के खैराडीह में तो पीपल का पेड़ 25 हजार लोगों की जान बचा रहा है. इस पेड़ अपना इतिहास है. हजारों सालों पुराना है. इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कोशिकेय बताते हैं कि जनपद बलिया का खैराड़ीह गांव तीन बार प्राकृतिक आपदाओं के कारण अपना अस्तित्व तो खो दिया. लेकिन यह खैरा पीपल का पेड़ आज भी है.
वास्तव में यह पीपल बड़ा ऐतिहासिक है. कई बार प्राकृतिक आपदा भी आई. लेकिन, यह खैरा पीपल टस से मस नहीं हुआ. यह ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी रही है.
पुरातात्विक सर्वे में मिले थे पुरावशेष
इसका जिक्र गजेटियर में किया गया है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. के.के सिन्हा के नेतृत्व में हुए पुरातात्विक सर्वे में यहां से ढ़ेर सारे पूरावशेष पाए गए, जो विभिन्न कालखंडो के थे. इसमें कुषाण कालीन, बौद्ध कालीन और पौराणिक कालीन अवशेष शामिल है. कुछ अवशेष अभी भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संग्रहालय में रखे गए हैं. बाकी कुछ अवशेष सरयू नदी के कटान में बह गए और कुछ चोरी हो गए.
हजारों की आबादी को बचा रहा एक पेड़
पीपल के जड़ों से जब पानी टकराता है, तो इसकी जड़े उस पानी को डाइवर्ट करती हैं. जहां बाढ़ के विभीषिका में बड़े-बड़े डंप गांव बह जाते हैं तो वहीं यह पीपल का पेड़ एक बड़ी लगभग 25,000 की आबादी को सैकड़ों वर्षों से बचा रहा है.
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पेड़ के पास बुजुर्ग ने क्या कहा?
इसकी देखरेख करने वाले बुजुर्ग घूराराम राजभर ने कहा कि यहां पर एक ठाकुरबारी भी है. यह खैरा पीपल हजारों वर्ष पुराना है, जिसका वर्णन उनके बुजुर्ग भी किया करते थे. गंगा नदी के किनारे स्थित यह पेड़ आज तक हिला डुला नहीं. इस पेड़ के संबंध में एक कहावत देश दुनिया में प्रसिद्ध है – ‘चक डोले चक बम्बक डोले, खैरा पीपल काबो न डोले.’
Location :
Ballia,Uttar Pradesh
First Published :
February 07, 2025, 15:04 IST
इस पेड़ का भूकंप-बाढ़ भी कुछ नहीं बिगाड़ पाए, बचा रहा 25 हजार लोगों की जान