सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ सालों तक सहमति से संबंध बनाती है तो बाद में वो रेप का आरोप उस पर नहीं लगा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि पुरुष ने शादी का झूठा वादा किया था, इस आधार पर रेप का केस नहीं बनता. कोर्ट ने इस तरह के मामलों को लेकर चिंता जताई है जहाँ रिश्ते खराब होने पर आपराधिक मामले दर्ज करा दिए जाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने मुंबई के खारघर पुलिस थाने में वनिता एस जाधव की महेश दामू खरे के खिलाफ दर्ज सात साल पुरानी एफआईआर रद्द कर दी. इस दौरान पीठ ने कहा कि यह एक चिंताजनक चलन है कि लंबे समय तक चले आ रहे सहमति से संबंधों में खटास आने पर उसे अपराध का रूप देने की कोशिश की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी के झूठे वादे के आधार पर दर्ज कराई गई शिकायत में तत्परता होनी चाहिए, ना कि सालों तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, महेश दामू खरे शादीशुदा है और वनिता एस जाधव विधवा. दोनों के बीच अफेयर 2008 में शुरू हुआ था. महिला जाधव ने बताया कि महेश दामू खरे ने शादी का वादा किया था, जिसके बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने. महेश दामू खरे की पत्नी ने वनिता एस जाधव के खिलाफ जबरन वसूली की शिकायत दर्ज कराई थी. मार्च 2017 में जाधव ने खरे के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया.
यह मामा जब सुप्रीम कोर्ट गया तो पूरी कहानी जानकर सुप्रीम कोर्ट भी हैरान रह गया. सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार वाली एफआईआर रद्द कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में जहां एक महिला जानबूझकर लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि यह संबंध सिर्फ खरे की ओर से शादी का वादा किए जाने की वजह से था.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 07:41 IST