ऐतिहासिक बैकुंठ चतुर्दशी मेला इस दिन से शुरू, रोचक है मेले से जुड़ी कहानी

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बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर कमलेश्वर मंदिर में मौजूद भक्त. (फाइल फोटो)

श्रीनगर गढ़वाल. उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में ऐतिहासिक बैकुंठ चतुर्दशी मेला इस साल 14 नवंबर को आयोजित किया जाएगा. इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. यह मेला हर साल बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जिसमें कमलेश्वर मंदिर में निःसंतान दंपति खड़े दीये का अनुष्ठान करते हैं. इस बार मेला 7 दिनों तक चलेगा. साथ ही इस वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी मेले में धारी देवी की डोली भी शामिल होगी, जिससे मेले की भव्यता और बढ़ जाएगी. इसके अलावा श्रीनगर क्षेत्र के 25 हजार छात्र मेले में हिस्सा लेंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे.

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि मेले को लेकर सभी लोगों के सुझाव लिए जा रहे हैं. इस साल मेले को और भव्य रूप दिया जाएगा. कमलेश्वर मंदिर को देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाने के लिए मेले का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा. साथ ही जो नि:संतान दंपति खड़े दीप के अनुष्ठान के लिए बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर पहुंचेंगे, उनके लिए भी सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी.

मंदिर में चढ़ाए जाएंगे सहस्त्र कमल के फूल
कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने लोकल 18 को बताया कि कमलेश्वर मंदिर को इस अवसर पर भव्य रूप दिया जाएगा और धारी देवी से लेकर कमलेश्वर मंदिर तक सभी मंदिरों की सजावट की पूरी व्यवस्था होगी. भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी. मेले को लेकर कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत से सकारात्मक चर्चा हुई है. इस साल भी कमलेश्वर मंदिर में सहस्त्र कमल के फूल चढ़ाए जाएंगे. स्नान के लिए घाटों पर सफाई की व्यवस्था की जाएगी.

क्या है मान्यता?
मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था और देवता असुरों से हारने लगे. तब वे भगवान विष्णु की शरण में गए और रक्षा की प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने कहा कि पहले देवता अपने आराध्य भगवान शिव का पूजन करेंगे. जिसके बाद देवतागण जहां अब कमलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, वहां जाकर भोलेनाथ की कमल पुष्प अर्पित कर पूजा करने लगे. भगवान शिव ने अपनी शक्ति से एक कमल का पुष्प छिपा दिया. तब भगवान विष्णु ने कमल की जगह अपने नेत्र भोलेनाथ को अर्पित करने का निर्णय लिया. जैसे ही उन्होंने अपना नेत्र अर्पित करने की कोशिश की, भोलेनाथ प्रकट हो गए. इसके बाद भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई. तभी से यह मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर खड़े दीये का अनुष्ठान करने से निःसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है. इसी वजह से बैकुंठ चतुर्दशी से श्रीनगर में 7 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है.

Tags: Local18, Pauri Garhwal News, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED :

October 23, 2024, 15:41 IST

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