किसान ध्यान दें! टमाटर की फसल में खतरनाक रोग का खतरा, समय से पहले करें उपाय

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प्रतीकात्मक तस्वीर 

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारणः टमाटर की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए एक बड़ी चिंता सामने आई है. विशेषज्ञों की मानें, तो टमाटर की फसल में इन दिनों एक अनोखा रोग तेजी से फैल रहा है, जिसे टमाटर का बैक्टीरियल स्पॉट कहा जा रहा है. अगर समय पर इसका सही उपचार नहीं किया गया, तो पूरी फसल बर्बाद होने का खतरा है.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरू कुमारी तिवारी ने Local18 को बताया कि यह बैक्टीरिया संक्रमित पौधे के पत्तों, फलों और तनों पर धब्बे बनाता है. पत्तों पर छोटे काले-भूरे धब्बे दिखाई देते हैं, जो समय के साथ फैलकर पत्तियों के सूखने का कारण बनते हैं. इससे पौधे की फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया प्रभावित होती है और फसल की वृद्धि रुक जाती है. बैक्टीरियल स्पॉट मुख्यतः गीले और नम मौसम में फैलता है, खासकर तब जब हवा में नमी अधिक होती है और तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है.

रोग के लक्षण क्या हैं?
बकौल धीरू ने आगे बताया कि रोग से ग्रसित होने के बाद पत्तियों पर छोटे आकार के काले तथा भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं, जो धीरे-धीरे बड़े होकर पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा, टमाटर के फलों पर भी काले धब्बे उभरने लगते हैं, जिससे फल खराब हो जाते हैं. पौधे के तने और शाखाओं पर भी इसका असर देखने को मिलता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं.

रोग के उपाय – बचाव
वहीं कृषि वैज्ञानिक धीरू कुमारी तिवारी ने कहा कि इस रोग से बचने के लिए किसान भाई इन उपायों को अपनाकर अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.

1. रोगरोधी किस्मों के बीजों का उपयोग करें: ऐसे बीज चुनें जो बैक्टीरियल संक्रमण का सामना कर सकें.
2. एक ही खेत में बार-बार टमाटर उगाने से बचें: इससे मिट्टी में बैक्टीरिया का संचय बढ़ सकता है.
3. फसल चक्र अपनाएं: फसल चक्र अपनाने से मिट्टी में बैक्टीरिया की मात्रा कम होती है, जिससे रोग का खतरा घटता है.

बाजार में उपलब्ध तांबे आधारित फफूंदनाशी का छिड़काव करें. यह बैक्टीरिया को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है. इसे हर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़कें, खासकर गीले मौसम में. इसके अलावा, पौधों के बीच सही दूरी बनाए रखना आवश्यक है, ताकि हवा का संचार बेहतर हो सके और नमी कम रहे. इससे बैक्टीरिया के फैलने की संभावना कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि पत्तियों पर पानी देने से बचें. टपकन सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) प्रणाली का उपयोग करें, ताकि पत्तियां सूखी रहें और बैक्टीरियल संक्रमण से बची रहें.

Tags: Agriculture, Local18

FIRST PUBLISHED :

September 24, 2024, 13:47 IST

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