Last Updated:February 04, 2025, 11:32 IST
Cancer Genome Database: आईआईटी मद्रास देश का सबसे बड़ा कैंसर जीनोम डाटाबेस तैयार कर रहा है. इसमें जीन का अध्यन किया जाएगा और देखा जाएगा कि किस तरह के जीन कैंसर कोशिकाओं को बढ़ावा देने में आगे हैं. इस जीनोम डाटा...और पढ़ें
Cancer Genome Database: आईआईटी मद्रास देश का सबसे बड़ा कैंसर जीनोम डाटाबेस तैयार कर रहा है. भारत सेंटर जीनोम एटलस नाम से यह योजना पूरे देश में कैंसर मरीजों से सैंपल लेकर उसके जीन का विश्लेषण करेगा. फिलहाल इस परियोजना में ब्रेस्ट कैंसर मरीजों के जीन का डाटाबेस तैयार किया जाएगा लेकिन इसके बाद सभी तरह के कैंसर के जीन का अध्ययन किया जाएगा. इससे कैंसर जीनोमिक डाटाबेस तैयार होगा जिससे इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.
जीनोम डाटाबेस में क्या होगा
सर गंगाराम अस्पताल में मेडिकल ऑंकोलॉजी के चेयरपर्सन डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि यह बहुत बड़ा कदम है. इस पर काम पहले से भी चल रहा है. कैंसर जीन मैपिंग से कैंसर के इलाज में क्रातिकारी परिवर्तन आ सकता है. सामान्य शब्दों में कहें तो इसमें जीन की स्टडी होगी जिससे हमें यह पता चलेगा कि जीन में किस तरह के बदलाव से या जीन में किस तरह की गड़बड़ियों से कैंसर शरीर में बढ़ता है. या किस खास तरह के जीन के कारण कैंसर होता है. उदाहरण के लिए हमारे देश में तरह-तरह के लोग हैं. आदिम जनजाति हैं, आदिवासी हैं, हिन्दू हैं, मुसलमान हैं, बौद्ध हैं, कोई खास समुदाय है. इन सबके जीन में मामूली अंतर होता है. इसी तरह किसी का रंग कौन सा होगा, किसी की लंबाई कितनी होगी, कोई कितना हेल्दी रहेगा इसकी बात भी जीन में छुपी रहती है. ऐसे में इन जीन की स्टडी की जाएगी. इसमें कैंसर मरीजों से सैंपल लिए जाएंगे और इसकी स्टडी की जाएगी. इन सैंपल में मौजूद जीन का एक मैप तैयार किया जाएगा. फिर इस जीन और नॉर्मल इंसानों में जीन के बीच अंतर खोजा जाएगा. जब अंतर पता चलेगा तो यह समझा जाएगा कि इसी अंतर के कारण किसी व्यक्ति में कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ हुई है. इसके बाद अलग-अलग तरह के कैंसर और जीन के बीच लिंक खोजा जाएगा.
जीनोम डाटाबेस का क्या फायदा मिलेगा
डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि जीनोम डाटाबेस अगर तैयार होगा तो इसके कई फायदे मिलेंगे. जब हमें पता चल जाएगा कि किसी खास समुदाय या खास लोगों के जीन में इस तरह की गड़बड़ियां हैं और इन गड़बड़ियों की वजह से कैंसर का खतरा बढ़ता है तो वहां के लोगों के लिए विशेष अभियान चलाकर बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है. इसी तरह अगर यह पता चल जाएगा कि किस खास जीन में गड़बड़ी के कारण कैंसर कोशिकाएं वृद्धि कर रही है तो उस खास जीन पर फोकस किया जाएगा. अभी ऐसी दवा नहीं है जिसमें किसी खास जीन की गड़बड़ियों को ठीक कर दिया जाए लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है. जीन का पता चल जाने के बाद हम टारगेटेड थेरेपी कर सकेंगे.
हर 10 में से 1 को होगा कैंसर
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के मुताबिक भारत में हर 10 में से 1 व्यक्ति अपने जीवन काल में कभी न कभी कैंसर का शिकार होगा. वर्तमान में भारत में 14.61 लाख कैंसर के मरीज हैं और 2022 से हर साल इस संख्या में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. आईआईटी मद्रास 2020 से यह काम कर रहा है. इस प्रोग्राम के तहत देश भर के 480 ब्रेस्ट कैंसर मरीजों से सैंपल लिए गए और इनके 960 एक्जोम सीक्वेंस तैयार भी कर लिए गए हैं. अब इसकी नॉर्मल जीन से तुलना की जाएगी जिसके बाद यह पता चलेगा कि कैंसर के लिए कौन से जीन जिम्मेदार है.
First Published :
February 04, 2025, 11:32 IST