Last Updated:January 26, 2025, 12:13 IST
शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, नेप्च्यून और यूरेनस एक साथ प्लैनेटरी परेड में दिख रहे हैं. सभी 8 ग्रहों का एक लाइन में आना ज्यामितीय रूप से असंभव है. फिर भी गणितीय तौर पर वैज्ञानिकों इस समय की गणना भी की है.
हाइलाइट्स
- सभी 8 ग्रहों का एक लाइन में आना ज्यामितीय रूप से असंभव है
- 6 ग्रहों की प्लैनेटरी परेड 18 जनवरी से शुरू हुई
- 8 ग्रहों का एक लाइन में आना हर 13.4 ट्रिलियन सालों में संभव है
इन दिनों रात के आसमान में दुनिया ने छह ग्रहों को एक ही लाइन में देखा जा रहा है.. शुक्र, मंगल बृहस्पति, शनि, नेप्च्यून और यूरेनस एक ही साथ आकर एक अभूतपूर्व नजारा दिखा रहे हैं.. इस खोगोलीय तौर पर एक सीध में आने की घटना को प्लैनेटरी परेड कहा जा रहा है. बीते 18 जनवरी से शुरू हुई इस घटना को करीब एक महीने तक देखा जा सकेगा. लेकिन 25 जनवरी को ये सभी छह ग्रह सूर्य की एक तरफ दिखाई दिए. ऐसे में एक सवाल फिर लोगों के मन में उठ रहा है कि क्या कभी सारे 8 ग्रह एक साथ एक ही लाइन में आ सकते हैं? आइए जानते हैं कि इस पर क्या कहता है विज्ञान?
क्या मतलब है इसका?
सबसे पहले तो हम यही समझें कि ग्रहों का एक ही रेखा में होने का क्या मतलब होता है? यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है. अगर आपने हमारे सौरमंडल का रेखाचित्र या डायग्राम देखा हो सूर्य का चक्कर लागते ग्रह आम तौर पर अलग अलग बिखरे दिखाई देते हैं. लेकिन अगर इसी में सारे ग्रह एक ही लाइन में दिख जाएं तो उसी को ग्रहों का संरेखण या अलाइनमेंट कहा जाता है.
तो तरह से हो सकता है ऐसा
जब ऐसा होता है तो ज्योतिष भाषा में कहेंगे कि सारे के सारे ग्रह एक ही राशि में पड़ेंगे. इसका खगोलीय मतलब यही होगा कि सारे ग्रह हमारे आकाशीय चक्र के 12 हिस्सों में से एक ही हिस्से में दिखाई देते हैं. खगोलशास्त्र में इस हिस्से को राशि कहा जाता है. यहां एक रोचक बात जानने की ये भी है कि सारे ग्रह दो तरह से एक ही रेखा में आ सकते हैं. या तो सारे ग्रह सूर्य के एक ही तरफ एक रेखा में आएं या फिर सूर्य सहित सारे ग्रह पृथ्वी के एक ही तरफ एक ही दिशा में आ जाएं. लेकिन हम जिस अलाइनमेंट की बात कर रहे है, वहीं सूर्य के एक ही तरफ एक लाइन में होने की बात कर रहे हैं.
5 से अधिक ग्रहों का एक ही लाइन में आना बहुत कम देखने को मिलता है. (तस्वीर: Instagram)
तो क्या 8 ग्रहों का एक लाइन में आना संभव भी है?
इस सवाल पर कोई भी कहेगा क्यों नहीं? जी हां, अगर ग्रहों की गति निश्चित है, भले ही अलग अलग ही सही, कभी ना कभी तो ऐसा संयोग आना ही चाहिए जब सारे के सारे ग्रह सूर्य के एक ही तरफ हों. आखिर 5-6 ग्रह तो कई बार एक ही लाइन में एक से ज्यादा बार देखे ही जा चुके हैं, तो फिर पूरे के पूरे 8 क्यों नहीं?
ऐसा होने में दिक्कत क्या है?
इससे पहले कि हम ये जानने की कोशिश करें कि ऐसा कब हो सकता है. पहले कुछ फैक्ट्स पर गौर करना जरूरी है. पहले हमें यह समझना होगो कि गणितीय या सटीक तौर पर कहें कि ज्यामितीय (Geometrically) तौर पर यह बिलकुल ही संभव नहीं है. हमें बचपन से यही बताया गया है कि सौरमंडल के सारे ग्रह एक ही सपाट तल में सूर्य का चक्कर लगाते हैं तो ऐसा नहीं है.
सौरमंडल के सारे ग्रह एक ही तल पर सूर्य का चक्कर नहीं लगाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कितना बड़ा है ये अंतर?
अगर हम हमारी पृथ्वी के सूर्य का चक्कर लाने वाले वृत के तल से तुलना करें तो बुध के तल का कोण सबसे ज्यादा 7 डिग्री है. इसके अलावा दूसरे कई ग्रहों के तल का यह कोण 3 डिग्री है. यहां तक कि अगर आप प्लूटो को भी शामिल करें तो उसके तल का कोण 17 डिग्री है. ऐसे में सारे ग्रहों की एक ही रेखा में आ जाना और भी ज्यादा मुश्किल होता है.
कब हो सकता है ये?
अगर केवल एक ही डिग्री के अंतर को नजरअंदाज कर लिया जाए तो भी कभी ना तो कभी सारे ग्रह एक ही लाइन में आ ही सकते हैं. और जी हां ऐसा हो सकता है और ऐसा हर 13.4 ट्रिलियन सालों यानी 13400 अरब सालों में एक बार होगा. यहां यह याद रखना जरूरी है कि हमरा सौरमंडल ही करीब 4.5 अरब साल पुराना और हमारे ब्रह्माण्ड की उम्र ही 13.7 अरब साल की है.
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यानी यह सब संभव हो है, लेकिन फिर भी ऐसा हो नहीं पाएगा, क्योंकि खुद हमारा सूर्य ही अगले 5 अरब साल और जी सकेगा और तब खत्म होने से पहले तक वह बुध और शुक्र को निगल चुका होगा. तो सारे एक ग्रह एक ही लाइन में देखने को तो नहीं मिलेंगे हां 5 से 6 ग्रहों के मामले में ऐसा कई बार देखने को मिल सकता है.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
January 26, 2025, 12:12 IST