खेती में डिजिटल क्रांति! AI से गन्ना किसान की बल्ले-बल्ले, होगा दोगुना मुनाफा

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Agency:Local18

Last Updated:February 12, 2025, 16:51 IST

AI Farming: महाराष्ट्र के गन्ना किसान एआई तकनीक से खेती में क्रांति ला रहे हैं. नई तकनीक से पानी, उर्वरक और कीटनाशकों की बचत हो रही है, जिससे पैदावार बढ़ रही है.

खेती में डिजिटल क्रांति! AI से गन्ना किसान की बल्ले-बल्ले, होगा दोगुना मुनाफा

प्रतीकात्मक तस्वीर

पुणे जिले के छोटे से गाँव खुटबाव में फरवरी की हल्की गर्म दोपहर में किसान महेंद्र थोरेट अपने गन्ने के खेत का निरीक्षण कर रहे हैं. इस बार उनका फसल पहले से ज्यादा ऊँची और घनी है. वह उत्साहित हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि इस साल पैदावार पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक होगी. लेकिन इस बदलाव का कारण न तो बीज हैं और न ही मिट्टी, बल्कि एक अदृश्य तकनीक है जो उनकी हर गतिविधि को निर्देशित कर रही है.

AI के जरिए खेती में क्रांति
थोरेट उन 1,000 किसानों में शामिल हैं जो एक अनूठे प्रयोग का हिस्सा बने हैं. यह प्रयोग भारत में गन्ना खेती के भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है. कृषि विकास ट्रस्ट (ADT) और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित उपकरणों के उपयोग से इन किसानों को फसल की गुणवत्ता, जल संरक्षण और लागत प्रबंधन में जबरदस्त लाभ मिल रहा है. यह ट्रस्ट 1968 में शरद पवार और उनके भाई अप्पासाहेब पवार द्वारा शुरू किया गया था.

AI से सटीक जानकारी और संसाधनों की बचत
थोरेट बताते हैं, “एआई मुझे सटीक रूप से बताता है कि मेरी फसल को कितने पानी की जरूरत है, उर्वरकों का छिड़काव कब करना है और संभावित कीट हमलों के बारे में पहले ही सतर्क कर देता है.” उन्होंने अपने स्मार्टफोन पर डाउनलोड किए गए ऐप को दिखाते हुए कहा, “मैं 50% तक पानी बचा रहा हूँ और कीटनाशकों के उपयोग को कम कर रहा हूँ. इस साल पैदावार कम से कम 40% अधिक होने की उम्मीद है.”

किसानों को हो रहा सीधा फायदा
इंदापुर के नवले गाँव के किसान बापू अवध भी एआई तकनीक से काफी संतुष्ट हैं. वह बताते हैं, “एआई नया है लेकिन बहुत मददगार है. यह हवा की गति और मौसम को ध्यान में रखते हुए बताता है कि कीटनाशकों का छिड़काव कब करना है. यह मिट्टी की स्थिति और जल आवश्यकता की जानकारी भी देता है. बस इसमें एक कमी है कि यह एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम) की जानकारी नहीं देता. अगर यह समस्या हल हो जाए तो यह किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा. इस साल मेरी फसल पहले के मुकाबले बहुत अच्छी है. मेरे कुछ दोस्त इसे अपने अंगूर के बागों में इस्तेमाल करना चाहते हैं.”

किसानों का भरोसा बढ़ा
अहमदनगर जिले के श्रीगोंडा तालुका के किसान अमित नवले भी इस नई तकनीक से काफी प्रभावित हैं. उन्होंने जनवरी में एआई तकनीक को अपनाया था और अब एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव साझा कर रहे हैं. वह कहते हैं, “इस ग्रुप के सभी किसान एआई से बहुत खुश हैं. वे मानते हैं कि इससे पानी, उत्पादन लागत और कीटनाशकों के खर्च में भारी कमी आई है. इस बार गन्ने की फसल पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है. मुझे उम्मीद है कि एआई तकनीक किसानों को प्रतिकूल मौसम से बचाने में भी मदद करेगी.”

First Published :

February 12, 2025, 16:51 IST

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