Agency:News18 Jharkhand
Last Updated:February 11, 2025, 19:12 IST
गुमला जिले में बांस कारीगरों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए "हरा सोना योजना" शुरू की गई है. इस पहल के तहत कारीगरों को उन्नत प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीक और 39 लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलेगी. बांस उत्पादों ...और पढ़ें
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गुमला में बांस कारीगरों के उत्थान के लिए हरा सोना योजना की शुरुआत
हाइलाइट्स
- "हरा सोना योजना" के तहत गुमला के बांस कारीगरों को आर्थिक मदद मिलेगी.
- कारीगरों को 39 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी.
- बांस उत्पादों की खरीद सुनिश्चित कर स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा.
गुमला: गुमला जिले के विकास को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की जा रही हैं. डीसी कर्ण सत्यार्थी की विशेष पहल पर जिले के बांस कारीगरों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एक नई योजना शुरू की जा रही है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य गुमला को “हरे सोने” यानी बांस से जुड़े उद्योगों का हब बनाना और कारीगरों को नई संभावनाओं से जोड़ना है.
इस योजना के तहत कारीगरों को आधुनिक तकनीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा. इससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा और वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक अपनी पहुंच बना सकेंगे. यह पहल आकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) के तहत नीति आयोग के मार्गदर्शन में संचालित होगी, जिससे कारीगरों को व्यवसायिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
गुमला के ‘हरे सोने’ से सशक्त होंगे कारीगर
गुमला जिले में बांस को ‘हरा सोना’ कहा जाता है, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि स्थानीय लोगों के आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए डीसी कर्ण सत्यार्थी ने बांस कारीगरों के उत्थान के साथ-साथ बांस की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है. इस पहल के तहत जिले में बीमा बैंबू और अन्य उन्नत किस्मों के बांस का पौधारोपण किया जाएगा, जिससे स्थानीय किसानों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा.
इस योजना के अंतर्गत बांस कारीगरों को बुनियादी और उन्नत स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें डिज़ाइनिंग, कटाई, मशीन संचालन और आधुनिक तकनीकों का समावेश रहेगा. जिले में पहले से मौजूद आठ क्लस्टर फैसिलिटेशन सेंटरों (CFC) में से एक को विशेष रूप से उन्नत सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा, ताकि कारीगरों को आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण आसानी से उपलब्ध हो सके.
आर्थिक विकास को मिलेगा नया आयाम
कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए ₹39 लाख की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई है. इस राशि का उपयोग मशीनों की आपूर्ति, अधिष्ठापन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा. इसके अलावा, प्रत्येक कारीगर को न्यूनतम ₹5000 मूल्य के उत्पाद तैयार करने होंगे, जिन्हें 12 महीने के भीतर बायबैक मैकेनिज्म के तहत खरीदा जाएगा. इससे कारीगरों को बाजार की चिंता किए बिना अपने उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त होगा.
बांस अधिक मात्रा में प्रदान करता है ऑक्सीजन
बांस के पर्यावरणीय लाभों को देखते हुए इसे बायोडीजल उत्पादन में भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे यह एक हरित ऊर्जा स्रोत के रूप में उभर रहा है. बांस अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. इस योजना से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि गुमला जिले को हरित विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी.
इस पहल की एक और खासियत यह है कि एक वर्ष की अवधि पूर्ण होने के बाद कारीगरों के लिए एक स्थायी आर्थिक मॉडल तैयार किया जाएगा. इसके लिए एफपीओ (फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) / सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा, जिससे कारीगरों को निरंतर उत्पादन और विपणन की सुविधा मिल सके. इस योजना से न केवल बांस कारीगरों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाएगा, बल्कि जिले में स्वरोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी.
Location :
Gumla,Jharkhand
First Published :
February 11, 2025, 19:12 IST