छुआछूत या गुटबाजी? मामले में नया मोड़; ग्रामीणों ने जो बताया वो हैरान कर देगा!

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Last Updated:January 11, 2025, 22:57 IST

Chhatarpur News : छतरपुर जिले के अतरार गांव में सरपंच पर छुआछूत और बहिष्कार का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने शिकायत की है. हालांकि, गांव के अन्य लोगों ने इसे कुछ और ही बताया. अब मामला एक नया मोड़ ले चुका है.

छतरपुर. जिले के अतरार गांव में एक अजब-गजब मामला सामने आया है. दरअसल, गांव के सरपंच पर छुआछूत को लेकर 20 लोगों ने बहिष्कार करने का आरोप लगाया है. बीते मंगलवार को एक महिला सहित सात ग्रामीणों ने एसपी कार्यालय में शिकायती आवेदन भी दिया था.

इस मामले की हकीकत पता करने के लिए लोकल 18 टीम पहुंचती है छतरपुर के अतरार गांव. जहां लोगों से पता चलता है कि गांव के सरपंच पंचायत भवन में हैं. जब वहां पहुंचते हैं तो पता चलता है कि सरपंच संतोष तिवारी तहसीलदार के साथ छतरपुर पहुंच गए हैं.

‘गांव में दो गुट’
पंचायत भवन में बैठे रामबिहारी रजक बताते हैं कि गांव में दो गुट हैं. बस गुटबाजी की लड़ाई ही है. गांव में छुआ-छूत और जातिवाद नहीं है. मैं भी रजक हूं, मंदिर में प्रवेश करते हैं, प्रसाद चढ़ाते हैं, सभी जाति के लोग खाते हैं. अब किसको प्रसाद खाना हैं, किसको बांटना है, ये तो हमारी मर्जी है. वहीं किशोरी आदिवासी बताते हैं कि मंदिर में प्रसाद सभी जातियों का चढ़ता है, सभी जाति के लोग खाते हैं.

पंचायत भवन में बैठे अशोक बताते हैं कि जगत अहिरवार‌ प्रसाद चढ़ाने की बात करता है लेकिन वह खुद ही भगवान को नहीं मानता है. फिर इसका प्रसाद कहां से चढ़ गया? रही बात प्रसाद की तो हनुमान मंदिर में प्रसाद मनोज मिश्रा ने चढ़ाया था. उसी के साथ में ये जगत था.

‘नहीं होता भेदभाव’
इसके बाद हम गांव की घनी बस्ती में पहुंचते हैं. जहां मुन्ना लाल अहिरवार बताते हैं कि हम भी अहिरवार समाज से आते हैं लेकिन इस गांव में छुआ-छूत और जाति देखकर भेदभाव कभी नहीं किया गया. हम भी मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं, मंदिर में जाते भी हैं. सभी जाति के लोग हमारा प्रसाद खाते हैं. ये प्रसाद वाली बात बनाके खड़ी कर दी गई है. हनुमान मंदिर में प्रसाद मनोज मिश्रा ने चढ़ाया था. जगत अहिरवार सिर्फ उनके साथ थे. ये उन्हीं गुट के हैं. न किसी का बहिष्कार किया गया है और न ही यहां छुआ-छूत और जातिवाद है. मैं भी इसी समाज से आता हूं, हम भी प्रसाद चढ़ाते हैं, सभी जाति के लोग हमारा प्रसाद खाते हैं.

इसके बाद हम जगत अहिरवार के घर पहुंचते हैं तो वह अपने घर नहीं मिलते हैं. फोन करने पर पता चलता है कि वह खाद लेने छतरपुर गए हैं. उन्हें देर हो जाएगी. हालांकि, देर शाम को भी बात करने की कोशिश करते हैं लेकिन फोन रिसीव नहीं करते हैं.

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